Jansankhya Samasya Ke Istri Path ke Rastey

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Jansankhya Samasya Ke Istri Path ke Rastey

सूचना-क्रान्ति के विभिन्न रूपों तथा तकनीक में निरन्तर विकास ने मानव सभ्यता के इतिहास के महत्त्वपूर्ण वाहक एवं गवाह संचार माध्यमों एवं संचार प्रक्रिया पर ज़बरदस्त प्रभाव डाला है। बीसवीं सदी के प्रारम्भ तक संचार व इसके माध्यमों को किसी स्वतंत्र चिन्तन का विषय भले ही न माना गया हो, आधी सदी गुज़रने तक इसकी विशिष्टता का अहसास सबको हो चुका था। यही कारण है कि संचार से जुड़े विविध पहलुओं पर गम्भीर शोध कार्य हुए और तरह-तरह के सिद्धान्तों ने इसकी विभिन्न सन्दर्भों में व्याख्या का आधार प्रस्तुत किया।

हिटलर के प्रचारमंत्री गोयबल्स का यह कथन पूरी दुनिया में आज भी एक मुहावरे की तरह जाना जाता है कि किसी झूठ को दोहराओ तो सच हो जाएगा। इस कथन की लोकप्रियता स्वयं मीडिया की ताक़त व प्रभाव का प्रमाण है क्योंकि किसी भी सच या झूठ को प्रस्तुत करने (या दोहराने) का सर्वाधिक अवसर इसे ही प्राप्त है।

‘जनसंचार : सिद्धान्त और अनुप्रयोग’ शीर्षक यह पुस्तक संचार की प्रक्रिया, प्रभाव व अनुप्रयोग से जुड़े प्रमुख सिद्धान्तों को समझने का एक विनम्र प्रयास है।

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2008
Edition Year 2008, Ed. 1st
Pages 152p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1
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Author: Ravindra Kumar Pathak

रवीन्द्र कुमार पाठक

जन्म : 16 सितम्बर, 1974।

शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी. (विषय हिन्दी), काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से। ‘हिन्दी के प्रमुख व्याकरणों का समीक्षात्मक अनुशीलन’ विषय पर शोध। एम.ए. परीक्षा में स्वर्ण पदक प्राप्त। ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ की शोधवृत्ति जे.आर.एफ. एवं एस.आर.एफ. प्राप्त।

सम्मान : कविता के लिए राजभाषा विभाग, बिहार सरकार और अन्तरराष्ट्रीय साहित्य संस्कृति विकास संस्थान, जबलपुर से पुरस्कृत।

सम्प्रति : व्याख्याता, हिन्दी विभाग, गणेश लाल अग्रवाल कॉलेज, मेदिनीनगर (डाल्टनगंज), पलामू, झारखंड।

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