Jangali Phool

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Jangali Phool
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अरुणाचल प्रदेश के 26 मुख्य आदिवासी समाजों में न्यीशी भी शामिल है। न्यीशी समाज में प्रचलित लोक कथाओं में एक प्रसिद्ध पुरखे तानी (पिता) को अनेक पत्नियां रखने वाले, प्रेमविहीन, बलात्कारी और आवारा व्यक्ति के रूप में चित्रित किया गया है जो अपनी असाधारण बल-बुद्धि का इस्तेमाल भी सिर्फ औरतें हासिल करने के लिए करता है। लेखिका ने तानी की इस छवि पर सवाल उठाया है। न सिर्फ सवाल उठाया है बल्कि उसकी मूल छवि और उससे जुड़े अन्य मिथकीय प्रसंगों को अपनी कल्पना से फिर से निर्मित करने का बीड़ा उठाया है। इसी का सुफल है यह उपन्यास ‘जंगली फूल’।

भारत के आदिवासी समाजों में एक छोटे से शिक्षित बौद्धिक वर्ग द्वारा लिखे जा रहे आधुनिक साहित्य में ‘जंगली फूल’ एक असाधारण कृति है। यह कृति न सिर्फ न्यीशी आदिवासी समाज की ऐतिहासिक जीवन-यात्रा और उसकी संस्कृति तथा समाज का एक प्रामाणिक अन्दरूनी चित्र प्रस्तुत करती है बल्कि पूर्वोत्तर के आदिवासियों में प्रचलित कुछ अन्धविश्वासों, विवेकहीन परम्पराओं, परस्पर युद्धों तथा स्त्रियों पर अत्याचार करने वाली प्रथाओं के खिलाफ संघर्ष करते हुए सुख-शान्ति से जीने वाले एक नए समाज का चित्र भी साकार करती है। लेखिका के प्रगतिशील मानवतावादी दृष्टिकोण ने इस उपन्यास के माध्यम से आदिवासी समाजों में एक नवजागरण लाने का प्रयास किया है।

प्रेम की महिमा का गुणगान करने वाले इस उपन्यास में कई शक्तिशाली स्त्री चरित्र हैं जिनकी नैसर्गिकता से प्रभावित हुए बिना हम नहीं रह सकते। स्त्री-पुरुष के बीच मित्रता के सम्बन्ध को अपना आदर्श घोषित करने वाली यह साहसिक कृति अपनी खूबसूरत और चमत्कारिक भाषा के कारण बेहद पठनीय बन गई है।

खुद एक न्यीशी लेखिका द्वारा अपने न्यीशी समाज का प्रामाणिक चित्रण और उसके सामाजिक रूपान्तरण का क्रान्तिकारी आह्वान आदिवासियों में लिखे जा रहे साहित्य में  ‘जंगली फूल’ को एक दुर्लभ कृति बनाता है।

—वीर भारत तलवार

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 216p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 21 X 13.5 X 2
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Joram Yalam Nabam

Author: Joram Yalam Nabam

जोराम यालाम नाबाम

जोराम यालाम नाबाम का जन्म अरुणाचल प्रदेश के लोवर सुबानसिरी जिले के जोराम गाँव में 5 मार्च को हुआ। उन्होंने वनस्थली विद्यापीठ, राजस्थान से स्कूली शिक्षा पाई और राजीव गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, अरुणाचल प्रदेश से हिन्दी में एम.ए. और पी-एच.डी. किया। अरुणाचल प्रदेश के बहुसंख्यक न्यीशी आदिवासी समुदाय से आनेवाली जोराम यालाम आदिवासी अस्मिता, संस्कृति और अस्तित्व के प्रश्नों में गहरी दिलचस्पी रखती हैं। इन विषयों पर वे पत्र-पत्रिकाओं में लगातार लिखती रही हैं। उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—‘साक्षी है पीपल’ (कहानी-संग्रह); ‘जंगली फूल’ (उपन्यास); ‘गाय-गेका की औरतें’ (संस्मरण); ‘न्यीशी समाज : भाषिक अध्ययन’ (शोध) और ‘तानी कथाएँ : अरुणाचल के तानी आदिवासी समाज की विश्वदृष्टि (लोक कथा विश्लेषण)।

वर्तमान में वे राजीव गांधी विश्वविद्यालय, अरुणाचल प्रदेश के हिन्दी विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं।

सम्पर्क : joram.yalam@gmail.com

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