Is Tarah Main

Author: Pawan Karan
Edition: 2017, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
25% Off
Out of stock
SKU
Is Tarah Main

पवन करण की कविताएँ जीवन की स्वाभाविक हरकत की तरह आती हैं। वे हर जगह कवि हैं। इसीलिए उनकी कविताएँ हर कहीं से उग आती हैं। न उन्हें विषयों के लिए दिमाग़ को किसी अनोखी दुनिया में दौड़ाना पड़ता है, न कविता को वाणी देने के लिए भाषा के साथ कोई शारीरिक-मानसिक अभ्यास करना पड़ता है। दुनिया में रहना-जीना जितना प्राकृतिक है, उनकी कविताएँ भी लगभग वैसी ही हैं। त्योहार पर घर जाते आदमी का उल्लास हो या शहर के सबसे पुराने बैंड का रुदन जो सिर्फ़ उसे सुनाई देता है, या घर वह पुरानी कैंची जो ‘फ़िलहाल घर के कोष में/नोट के दो टुकड़ों की तरह रखी है।’ और ताला, ‘यह राजदार हमारा/अनुपस्थिति में हमारी/कभी झुकता नहीं टूट भले जाए।’ या फिर बिजली के खम्भे जो रात के सुनसान में ‘जब उनके नीचे से/गुज़रता है चौकीदार/उसके सिर पर हर बार/रोशनी की उजली टोपी/पहना देते हैं’ और जब वह देर तक वापस नहीं आता तो उसे ‘अपने नीचे लेटे कुत्तों में से/किसी एक को भेजते हैं उसे देखने।’ ये कविताएँ हमें व्याकुल करके किसी बदलाव की क़सम खाने के लिए नहीं उकसातीं, बल्कि जहाँ हम हैं, जिस भी मुद्रा में वहीं हमारे भीतर आकर वहीं से हमें बदलना शुरू कर देती हैं, और इनसे गुज़रकर जब हम वापस दुनिया के रूबरू होते हैं, सबसे पहले हमें अपनी दृष्टि नई लगती है, और दुनिया के अनेक कच्चे जोड़ अचानक हमें दिखाई देने लगते हैं जिन्हें फ़ौरन रफ़ू की या मरम्मत की ज़रूरत है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2017
Edition Year 2017, Ed. 1st
Pages 102p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Write Your Own Review
You're reviewing:Is Tarah Main
Your Rating
Pawan Karan

Author: Pawan Karan

पवन करण

जन्म : 18 जून, 1964; ग्वालियर (म.प्र.)।

शिक्षा : पीएच.डी. (हिन्दी), जनसंचार एवं मानव संसाधन विकास में स्नातकोत्तर पत्रोपाधि।

प्रकाशित काव्य-संग्रह : 'इस तरह मैं', 'स्त्री मेरे भीतर', 'अस्पताल के बाहर टेलीफ़ोन', 'कहना नहीं आता', 'कोट के बाज़ू पर बटन', 'कल की थकान' और 'स्त्रीशतक' खंड–एक एवं 'स्त्रीशतक' खंड–दो प्रकाशित।

अॅंग्रेज़ी, रूसी, नेपाली, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, गुजराती, असमिया, बांग्ला, पंजाबी, उड़िया तथा उर्दू में कविताओं के अनुवाद। कविताएँ विश्वविद्यालयीन पाठ्यक्रमों में शामिल।

कविता-संग्रह 'स्त्री मेरे भीतर' मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, उर्दू तथा बांग्ला में प्रकाशित। संग्रह की कविताओं का नाट्य-मंचन।

सम्मान : ‘रामविलास शर्मा पुरस्कार’, ‘रज़ा पुरस्कार’, ‘वागीश्वरी सम्मान’, ‘शीला सिद्धांतकर स्मृति सम्मान’, ‘परम्परा ऋतुराज सम्मान’, ‘केदार सम्मान’, ‘स्पंदन सम्मान’।

सम्प्रति : 'नवभारत' एवं 'नई दुनिया' ग्वालियर में साहित्यिक पृष्ठ 'सृजन' का सम्पादन तथा साप्ताहिक साहित्यिक स्तम्‍भ 'शब्द-प्रसंग' का लेखन।

 

 

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top