Hindi Upanyas Aur Astitvavad

Author: Veenu Bhalla
Edition: 2024, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
15% Off
Out of stock
SKU
Hindi Upanyas Aur Astitvavad

अस्तित्ववादी चिंतकों ने बताया कि हमारे प्रत्येक सत्य और प्रत्येक कर्म में मानवीय संदर्भ और मानवीय आत्मपरकता निहित होती है तथा राज्यसत्ता, नौकरशाही, राजनीतिक दल—सभी निर्वैयक्तिक शक्तियाँ इस मानवीय आत्मपरकता को प्रतिबंधित करती रहती हैं।

अस्तित्ववाद ने इस बात पर बल दिया कि यथार्थ और अयथार्थ, आवश्यक और अनावश्यक के अंतर को समझने के लिए व्यक्ति और उसकी आत्मपरकता को प्राथमिकता देने से ही उसके चारों ओर फैली विसंगतियों को कम किया जा सकता है।

स्वातंत्र्योत्तर हिंदी उपन्यासों को आलोचकों ने कुंठा, घुटन और अनगढ़ प्रतीक योजनाओं के कारण अस्तित्ववादी उपन्यास की संज्ञा से अभिहित किया है। हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं में इस विषय से संबंधित जो शोध हुए हैं उनमें परीक्षण और जाँच कम, स्थापनाएँ अधिक हुई हैं। अस्तित्ववाद के प्रभाव को मानकर चलनेवाले लोगों ने संभवतः इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया कि हिंदी साहित्य की विधाओं में जो सिचुएशंस दिखाई पड़ती हैं वह अस्तित्ववाद के प्रभाव के कारण हैं अथवा बदलते हुए परिवेश के कारण।

यह पुस्तक अस्तित्ववादी विचारधारा की मूलचेतना 'अस्तित्व' की महत्त्वपूर्ण प्रवृत्तियों के सैद्धांतिक विवेचन की अपेक्षा उसकी सिचुएंशस (स्थितियों) के आधार पर कुछ महत्त्वपूर्ण हिंदी उपन्यासों की विवेचना का प्रयास है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2004
Edition Year 2024, Ed. 2nd
Pages 144p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Hindi Upanyas Aur Astitvavad
Your Rating

Author: Veenu Bhalla

वीनू भल्ला

वीनू भल्ला का जन्म जालंधर, पंजाब में हुआ।

उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए, एम.लिट्., पी-एच.डी. व एल.एल.बी. किया। यूजीसी की रिसर्च एसोसिएट रहीं। 1983 से कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज में अध्यापन।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top