Hindi Sahitya Ka Parichayatmak itihas

Edition: 2024, Ed. 3rd
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Hindi Sahitya Ka Parichayatmak itihas
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जो साहित्य युगान्तर तक जीवित रहता है उसमें निश्चय ही कुछ जीवन्त तत्त्व रहते हैं, उनका विश्लेषण करना अभीष्ट होना चाहिए। इसी को ध्यान में रखते हुए तीन कालखंडों में विभाजित ‘हिन्दी साहित्य का परिचयात्मक इतिहास’ शीर्षक इस पुस्तक का प्रणयन किया गया है।

पुस्तक के प्रत्येक कालखंड में प्रचलित साहित्यिक धाराओं और युगों का अलग-अलग स्पष्ट परिचय दिया गया है तथा साहित्यकार और उसकी रचनाओं का तथ्यात्मक विवरण पूर्ण रूप से देने का प्रयत्न किया गया है। आधुनिक काल के अन्तर्गत काव्य और गद्य साहित्य की विविध विधाओं का अलग-अलग युगानुसार परिचय दिया गया है। गद्य साहित्य के साथ अन्त में हिन्दी पत्रकारिता के विकास का भी संक्षिप्त विवरण दे दिया गया है, क्योंकि हिन्दी गद्य की विविध विधाओं के विकास और प्रचार में उसका महत्त्वपूर्ण योगदान है।

काव्य के इतिहास के प्रसंग में और विशेष रूप से

प्राचीन और मध्यकालीन काव्यधाराओं के परिचय में कवि-परिचय के साथ-साथ उसकी विशिष्टताओं को स्पष्ट करने के लिए काव्य की कुछ पंक्तियाँ भी उदाहरणस्वरूप दी गई हैं। इससे जहाँ एक ओर तथ्यात्मक विवरण की नीरसता दूर हो जाती है, वहीं दूसरी ओर काव्य-युगों को समझने में भी सुविधा होती है।

इस संक्षिप्त, किन्तु पूरे हिन्दी साहित्य के विवरण का अवलोकन करने से यह बात भली भाँति समझ में आ जाती है कि हिन्दी भाषा और उसके साहित्य में कितनी विविधता और व्यापकता है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2010
Edition Year 2024, Ed. 3rd
Pages 180p
Translator Not Selected
Editor Gyanendra Kumar Santosh
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Bhagirath Mishra

Author: Bhagirath Mishra

भगीरथ मिश्र

हिन्दी के अधुनातन काव्यशास्त्री आचार्य भगीरथ मिश्र का जन्म संवत् 1971 विक्रमी पौष कृष्णा एकादशी रविवार को कानपुर ज़िले के एक छोटे से गाँव सैंथा में हुआ।

शिक्षा : लखनऊ विश्वविद्यालय से ‘हिन्दी काव्य-शास्त्र का इतिहास’ विषय पर डॉक्टरेट (पीएच.डी.)।

डॉ. मिश्र का कृतित्व अत्यन्त बहुआयामी रहा है। उन्होंने लगभग 32 स्वतंत्र ग्रन्थ लिखे हैं और हिन्दी के दर्जनों ग्रन्थों की प्राथमिक, समीक्षात्मक भूमिकाएँ भी लिखी हैं। इस दृष्टि से ‘हिन्दी काव्यशास्त्र का इतिहास’, ‘काव्यशास्त्र’, ‘पाश्चात्य काव्यशास्त्र’, ‘तुलसी रसायन’, ‘काव्यरस चिन्तन और आस्वाद’, ‘भाषा-विवेचन’, ‘हिन्दी रीति साहित्य’ आदि पुस्तकें उल्लेखनीय हैं।

डॉ. मिश्र लखनऊ विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक एवं रीडर तथा पूना विश्वविद्यालय (महाराष्ट्र) और सागर विश्वविद्यालय (म.प्र.) में हिन्दी विभाग के प्रोफ़ेसर तथा अध्यक्ष रहे। सागर विश्वविद्यालय (म.प्र.) के वे कुलपति भी रहे।

निधन : 12 नवम्बर, 1994 को सागर (म.प्र.) में।

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