Hindi Kahani : Prakriya Aur Path

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Hindi Kahani : Prakriya Aur Path

कहानी को रचनाकर्म के साथ-साथ जीवन से जुड़ा मानकर लेखक एक निरन्तरता में इन्हें देखने की चेष्टा करता है। बदलती हुई प्रवृत्तियों और प्रक्रियाओं को वह इसका बाधक भी नहीं मानता है। उसका विश्वास है कि अनुभव की संश्लिष्टता ही रचना में आकर अपना अर्थ भी खोलती है और स्वयं उस अनुभव को भी बड़ा बनाती है।

अपनी प्रथम पुस्तक में उसकी यह शुरुआत हिन्दी आलोचना में चर्चा का विषय बन गई थी। ‘नई कहानी’ के उस दौर में इस पुस्तक के सम्बन्ध में यह चर्चा कम उत्साहवर्द्धक न थी।

वर्षों बाद भी लेखक की यह पुस्तक अपनी प्रासंगिकता ही बनाए नहीं रखती, बल्कि बदलते हुए इस कथा-दौर में कुछ पूर्वाशित प्रश्न खड़े करने के लिए भी स्मरण की जाती रही है। पाठ भाग में एक कहानी भी जोड़ी गई है। संक्षेप में कहा जाए तो हिन्दी कहानी की रचना-प्रक्रिया पर यह एक मुकम्मल किताब है।

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1995
Edition Year 2010, Ed. 1st
Pages 164p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Author: Surendra Chaudhary

सुरेन्द्र चौधरी

जन्म : जून, 1933, गया (बिहार)।

शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी.।

सन् 1959 से विधिवत् लेखन-कार्य। 1963 में ‘हिन्दी कहानी : प्रक्रिया और पाठ’ का लेखन। 1988 में ‘भारतीय साहित्य के निर्माता : रेणु’ शीर्षक पुस्तक साहित्य अकादेमी (नई दिल्ली) से प्रकाशित।

अनगिनत लेख हिन्दी पत्रों में प्रकाशित। कुछ अंग्रेज़ी लेखों का भी प्रकाशन। ‘लहर’, ‘कल्पना’, ‘कथा’, ‘अकथ’, ‘आरम्भ’, ‘अब’ आदि के साथ कहानी में लेखन।

गया कॉलेज, गया के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग में आचार्य एवं अध्यक्ष रहे।

निधन : 9 मई, 2001

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