Hindi Ka Sanganakiya Vyakaran

As low as ₹896.25 Regular Price ₹1,195.00
25% Off
In stock
SKU
Hindi Ka Sanganakiya Vyakaran
- +
Share:

भाषा की आन्‍तरिक व्यवस्था अत्यन्‍त जटिल है। इसके दो कारण हैं—भाषा व्यवस्था का विभिन्न स्तरों पर स्तरित होते हुए भी सभी स्तरों का एक दूसरे से सम्‍बद्ध होना तथा मानव मस्तिष्क द्वारा किसी भी प्रकार से अभिव्यक्ति का निर्माण करना और उसे समझ लेना। अत: भाषा में प्राप्त होनेवाली विभिन्न प्रकार की जटिलताओं के कारण कम्‍प्यूटर पर संसाधन की दृष्टि से किसी पुस्तक का लेखन अत्यन्‍त चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है। फिर भी हिन्दी को लेकर यह आरम्भिक प्रयास किया गया है। यह पुस्तक हिन्‍दी के पूर्णत: मशीनी संसाधन का दावा करते हुए प्रस्तुत नहीं की जा रही है, बल्कि यह उस दिशा में एक क़दम मात्र है। इसके माध्यम से प्राकृतिक भाषा संसाधन (NLP) के क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों को हिन्दी का मशीन में संसाधन करने को एक दृष्टि (Sight ) प्राप्त हो सके, यही लेखक का उद्देश्य है। वैसे हिन्दी के मशीनी संसाधन को लेकर 1990 के दशक से ही कार्य हो रहे हैं, और पर्याप्त मात्रा में यह कार्य हो भी चुका है, किन्‍तु आम विद्यार्थियों, शोधार्थियों और इस क्षेत्र में रुचि रखनेवाले विद्वानों के लिए उसकी तकनीकी उपलब्ध नहीं है, जिससे कोई नया व्यक्ति इस दिशा में कार्य कर सके। हिन्‍दी माध्यम से तो ऐसी सामग्री का पूर्णत: अभाव है। विभिन्न प्रकार के शोधों द्वारा यह प्रमाणित हो चुका है कि कोई भी व्यक्ति अपनी मातृभाषा में मौलिक कार्य अधिक दक्षतापूर्वक कर सकता है। इसलिए हिन्‍दी के मशीनी संसाधन की सामग्री किसी भी अन्य भाषा के बजाय हिन्‍दी में ही होनी चहिए। इस पुस्तक को प्रस्तुत करने का एक मुख्य उद्देश्य इस कथन की पूर्ति करते हुए हिन्दी को इस दिशा में यथासम्‍भव आत्मनिर्भर बनाना भी है।    

—भूमिका से

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 448p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 3.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Hindi Ka Sanganakiya Vyakaran
Your Rating
Dhanji Prasad

Author: Dhanji Prasad

धनजी प्रसाद

जन्म : 20 दिसम्‍बर, 1988; ग्रा. व पो.—जसदेवपुर, ज़‍िला—ग़ाज़ीपुर, (उ. प्र.)।

शिक्षा : एम.ए., एम.फिल्., पीएच.डी. हिन्‍दी (भाषा प्रौद्योगिकी), भाषाविज्ञान में जेआरएफ।

रूपविज्ञान, वाक्यविज्ञान, अर्थविज्ञान, प्रकृतिक भाषा संसाधन (एनएलपी), भाषा से सम्‍बन्धित सॉफ़्टवेयर विकास एवं कृत्रिम बुद्धि (एआई) में विशेषज्ञता।

प्रकाशित कृतियाँ : ‘भाषाविज्ञान का सैद्धान्तिक, अनुपयुक्त एवं तकनीकी पक्ष’ (2011) ‘सी. शार्प प्रोग्रामिंग एवं हिन्‍दी के भाषिक टूल’ (2012), ‘कार्पस भाषाविज्ञान’ (2014), ‘परिचयात्मक जापानी भाषा’ (2014 ) एवं कई शोधपत्र प्रकाशित। ई.पी.जी. पाठशाला के लिए तीन एवं दूर शिक्षा निदेशालय, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के लिए पन्‍द्रह इकाइयों का लेखन। दो पुस्तकें एवं पाँच आलेख प्रकाशनाधीन।

सम्‍प्रति : भाषाविज्ञान एवं भाषा प्रौद्योगिकी विभाग, भाषा विद्यापीठ, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में सहायक प्रोफ़ेसर।

 

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top