Hindi Gitikavya Parampara Aur Miran

Author: Manju Tiwari
Edition: 2024, Ed. 3rd
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Hindi Gitikavya Parampara Aur Miran
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मीरां को लेकर अनेक शोध हो चुके हैं लेकिन उनके गीति-काव्य के निकष पर अध्ययन-अनुशीलन की आवश्यकता अभी भी बनी हुई थी। इसके अलावा, मीरां के कृतित्व को लेकर अनेक मतभेद और विवाद भी चलते रहे हैं। उनके चारों ओर अलौकिकता का आवरण भी फैला हुआ है जिसकी वजह से मीरां के मूल्यांकन में एक बड़ी बाधा रहती आई है। मीरां के अनुशीलन में एक भारी समस्या मीरां पदावली के मूल पाठ की भी है। उन पर केन्द्रित आलोचना-ग्रन्थों के स्रोत प्राय: मीरां के लोक प्रचलित पद रहे हैं जिनके आधार पर किए जानेवाले विवेचन काफ़ी भ्रमपूर्ण बनते रहे हैं। इस अध्ययन में मीरां के पदों के मूल पाठ को आधार बनाया गया है। साथ ही इस बात पर भी ज़ोर दिया गया है कि मीरां के गीतों के सहज संगीत को भी आकलन का निकष बनाया जाए।

मीरां के गीतों की सांगीतिकता और राग-रागिनियों में गीतों के सफल नियोजन की बात सभी श्रेष्ठ संगीतकारों ने स्वीकार की है। उनके यहाँ शिल्प एवं शब्दगत अलंकरण के कोई आग्रह नहीं हैं। निश्छल और मधुर भावाभिव्यक्ति के कारण मीरां के गीतों का अपना एक विशिष्ट स्थान है। यह उनके गीतों का ही वैशिष्ट्य है कि सैकड़ों वर्षों के बाद आज भी वे लोक-कंठ में रचे-बसे हुए हैं। यह पुस्तक मीरां के जीवन और विशेष रूप से उनके कृतित्व को एक नई दृष्टि से देखने की प्रेरणा देती है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2004
Edition Year 2024, Ed. 3rd
Pages 307p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22.5 X 14 X 2
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Author: Manju Tiwari

मंजु तिवारी

कविता की पहली किताब के बाद ‘हिन्दी गीति-काव्य परम्परा और मीरां’ का प्रकाशन। मीडिया और साहित्य पर केन्द्रित शोधकार्य प्रकाशनाधीन।

डॉ. शिवमंगल सिंह सुमन पर केन्द्रित फ़िल्म ‘विश्वास बढ़ता ही गया’ एवं अन्य लघु फ़िल्मों के लिए शोधकार्य भी किया। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ और कविताएँ प्रकाशित। साहित्य और संगीत-कार्यक्रमों पर समाचार-पत्रों में समीक्षाएँ भी लिखीं।

सम्प्रति : शासकीय हमीदिया महाविद्यालय में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत।

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