Hashiye Par

Author: K. D. Singh
Edition: 2012, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Hashiye Par

व्यंग्य का उद्देश्य यह होता है कि आप अपनी ख़ामियों को जान भी लें, और आहत भी महसूस करें। कई बार करुणा भी पैदा करता है।

इस पुस्तक में संकलित व्यंग्य-रचनाएँ हल्की चोट मारकर गहरे और दीर्घकालीन प्रभाव को सम्भव करती हैं। शायद इसीलिए व्यंग्यकार ने अधिकांशत: यहाँ ऐसे विषयों को चुना है जो हमारे सामाजिक जीवन में परम्पराओं के रूप में निहित हैं। मसलन धार्मिक कर्मकांड और आज के युग में उनकी धन-केन्द्रीयता। पहले ही व्यंग्य, ‘गंगे तव दर्शनात् मुक्ति’ में गंगा-स्नान और उसके इर्द-गिर्द होनेवाली अन्य धार्मिक क्रियाओं के बहाने होनेवाली लूट को दिलचस्प ढंग से दिखाया गया है। इसी तरह ‘धर्मोपदेश:’, ‘जिन्नबबूता की भारत यात्रा’ और अन्य रचनाओं में प्रशासन, राजनीति, पुलिस-तंत्र आदि को केन्द्र में रखते हुए हमारे सामाजिक व्यवहार की बारीक पड़ताल की गई है।

इन व्यंग्य रचनाओं में कहीं कहानी की तरह, तो कहीं सीधी टिप्पणियों और कहीं रूपक के माध्यम से हास्य की रचना की गई है, लेकिन लेखक के सरोकार कहीं भी ओझल नहीं होते। हर साहित्यिक प्रयास का अन्तिम लक्ष्य जीवन जैसा है, उसे उससे बेहतर बनाना होता है, इस पुस्तक में शामिल व्यंग्य भी इस लक्ष्य से नहीं भटकते। एक अंश देखें, “शाम को एकान्त में बैठकर जिवनू ने लिखा—‘प्रान्त का सामाजिक जन-जीवन धर्म और अध्यात्म से परिपूर्ण है।...इस कार्य में युवाओं का योगदान महत्त्वपूर्ण है। देवी-पूजा के नौ दिन अधार्मिक प्रवृत्ति के लोगों को दंडित करने का प्रचलन है। युवा नागरि‍कगण मद्य-भाँग-धतूरा आदि के नशे में उन्मत्त होकर अधार्मिक वर्ग की महिलाओं का स्तन-मर्दन करते तथा पुरुषों की माँ -बहन को विभिन्न पशुओं के साथ यौन-क्रियाओं के लिए आमंत्रित करते चला करते हैं।’’

 

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2012
Edition Year 2012, Ed. 1st
Pages 112p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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K. D. Singh

Author: K. D. Singh

के.डी. सिंह

जन्म : 21 मार्च, 1975 को ग्राम—पिपरहरी, जनपद—बाँदा में।

शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा बाँदा में, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक एवं परास्नातक। 1992 में आकाशवाणी इलाहाबाद से ‘युववाणी’ कार्यक्रम में कविता-पाठ की एक नियमित शृंखला से जुड़े रहे, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए कविता, व्यंग्य-लेख व निबन्धों का प्रकाशन।

पुरस्कार : 1991 में महाकवि निराला संस्थान इलाहाबाद द्वारा पुरस्कृत, 1992 में प्रसिद्ध भाषाविद् हरदेव बाहरी द्वारा साहित्यिक संस्था ‘उदीयमान’ के तत्त्वावधान में ‘युवा रचनाकार उदीयमान सम्मान’, वर्ष 2004 में प्रकाशित पुस्तक 'शेष अगले पृष्ठ' पर के लिए उ.प्र. हिन्दी संस्थान द्वारा ‘बालकृष्ण शर्मा नामित पुरस्कार’, वर्ष 2012 में प्रकाशित व्यंग्य-संग्रह 'हाशिये पर' के लिए उ.प्र. हिन्दी संस्थान द्वारा ‘शरद जोशी सर्जना सम्मान’।

प्रकाशन : अब तक कुल 5 पुस्तकें प्रकाशित—'शेष अगले पृष्ठ पर' (व्यंग्य), 'हाशिये पर' (व्यंग्य), 'लिखना न था कुछ' (कविता एवं ग़ज़ल-संग्रह), 'होते करते' (व्यंग्य-संग्रह), 'एतद् द्वारा' (व्यंग्य-संग्रह)।

सम्प्रति : उ.प्र. सरकार के अधीन परिवहन विभाग में राजपत्रित अधिकारी।

ई-मेल : kd21375@gmail.com

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