अगर कोई मन-वचन और कर्म से किसी महान और कठिनतम लक्ष्य को हासिल करने की ठान ले, तो संसार में कुछ भी असम्भव नहीं। संकल्प से सिद्धि तक के ऐसे ही सफर के महारथी हैं–हरदनहल्लि दोड्डेगौड़ा देवेगौड़ा, संसार के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री के रूप में कर्नाटक की पहली और दक्षिण भारत की दूसरी देन।
उन्होंने घोर अनिश्चितता के दौर में भारत का राजनीतिक, प्रशासनिक, सामरिक और आर्थिक नेतृत्व सँभाला, जब भारत को संसार के सबसे भ्रष्ट राष्ट्रों में चतुर्थ स्थान पर माना गया था। देश की अन्तरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा निरन्तर घटती जा रही थी। आन्तरिक चुनौतियाँ, पड़ोसी राष्ट्रों की असहिष्णुता, अकारण द्वेष और देश की शान्ति तथा स्थिरता को खतरे में डालनेवाली साजिशें भी बहुत बढ़ चुकी थीं। अन्तरदेशीय स्तर पर सभी राज्यों की आवश्यकताओं के अनुरूप उनके विकास का काम इतना अधिक पिछड़ गया था कि कुछ राज्यों में पृथकतावादी विद्रोही कार्यवाहियाँ भी बहुत बढ़ गई थीं।
उन परिस्थितियों में नाकाम होने की लगभग सुनिश्चित आशंका के कारण कोई भी राजनेता देश का प्रधानमंत्री बनने का जोखिम उठाने के लिए दावेदारी या प्रयास नहीं कर रहा था। देश की दो प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के पास बहुमत का चमत्कारी आँकड़ा और दावेदारी का हौसला तक नहीं था। तब संयुक्त मोर्चा गठबन्धन के समस्त घटक दलों ने सर्वसम्मति से श्री देवेगौड़ा को प्रधानमंत्री पद के लिए चुना।
अत्यन्त सीमित समय, असीमित चुनौतियों तथा सरकार को गिराने के षड्यंत्रों के उस दौर में श्री देवेगौड़ा ने जिस चमत्कारी ढंग से, उपलब्धियाँ प्राप्त कीं और हर क्षेत्र में परिस्थितियों को सँभाला, इस पुस्तक में उसी लेखे-जोखे का रोचक और प्रामाणिक विवरण है।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Ashok Kumar Sharma |
Publication Year | 2021 |
Edition Year | 2021, Ed. 1st |
Pages | 357p |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22 X 14.5 X 3 |