Guru Ghasidas

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Edition: 2015, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Guru Ghasidas

जिस समय छत्तीसगढ़ की जनता भोंसलों के अत्याचार और अंग्रेज़ों की कुटिलता से जूझ रही थी, उसी समय गुरु घासीदास का जन्म एक मध्यवर्गीय किसान परिवार में हुआ था। वे भूख से मरने और बेगार करने के लिए अभिशापित थे, परन्तु उनमें सा   हस, सद्बुद्धि और संघर्ष के लिए जन्मजात ज्ञान था। इसलिए बचपन में वे अपने साथियों को सत्य और अहिंसा की पहचान करा सके। गुरु घासीरास ने अपनी आध्यात्मिक शक्ति को स्वयं या परिवार के किसी सदस्य के भौतिक सुख-सुविधाओं के लिए न लगाकर मानवता के कल्याण के लिए युग-युग से पीड़ित-शोषित जन के लिए लगाया। उन्हें रूढ़ियों से मुक्त किया। चोरी, हिंसा, मद्यपान, जिसमें यह समाज डूब चुका था, जैसी कुरीतियों को पाप बतलाकर जीवनमात्र के लिए दया और प्रेम की शिक्षा दी। सत्य, अहिंसा, समानता का पाठ पढ़ाकर उन्हें कृषि तथा गो-पालन के लिए उत्प्रेरित किया। इस प्रकार देखते हैं कि पं. सुन्दर लाल शर्मा, महात्मा गांधी और बाबा साहेब अम्बेडकर के पूर्व ही उन्होंने सतनाम पंथ की स्थापना कर अपने शिष्यों को स्वावलम्बन और स्वतंत्रता का पाठ सिखला दिया था। सतनाम पंथ एक विचारधारा है जिसका सीधा सम्बन्ध उपनिषदों के एकेश्वरवाद और भगवान् बुद्ध की करुणा से है। छत्तीसगढ़ में शोषित-पीड़ित मानवता के उद्धार के लिए गुरु घासीदास ने कठिन तपस्या की, सत् पुरुष का दर्शन किया और उन्हीं के आदेश पर अपने अनुयायियों को उनका दिव्य सन्देश दिया, जो प्राणिमात्र के लिए अत्यन्त कल्याणकारी है। यह पुस्तक गुरु घासीदास के जीवन और दर्शन का विस्तृत और प्रामाणिक परिचय देती है।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2015
Edition Year 2015, Ed. 1st
Pages 192p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Dr. Baldev

Author: Dr. Baldev

डॉ. बलदेव

जन्म : 27 मई, 1942

शिक्षा : एम.ए. हिन्दी, पीएच.डी., डिप्लोमा इन असमिया।

प्रमुख कृतियाँ : ‘वृक्ष में तब्दील हो गई औरत’, ‘विश्वबोध’, ‘छायावाद एवं अन्य श्रेष्ठ निबन्ध’, ‘रायगढ़ में कत्थक’, ‘ढाई आखर’, ‘भगत की सीख’, ‘छायावाद एवं पं. मुकुटधर पाण्डेय’ आदि।

सम्मान : ‘चक्रधर सम्मान’, ‘पं. मुकुटधर पाण्डेय सम्मान’ आदि।

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