Ghat Ghat Ka Pani

Author: Ambrish Kumar
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Ghat Ghat Ka Pani

कहते हैं कि यात्राएँ हमें पुनर्जीवन देती हैं। शहरों में बसने और वहाँ की दैनिक आवाजाही में अनेक लोगों को पता ही नहीं चल पाता कि जीवन कब बीत गया और कितनी बड़ी धरती उनकी कल्पना से भी अछूती रह गई।

वे सौभाग्यवान होते हैं जिन्हें जीवन अवसर भी देता है और हौसला भी कि वे रोज़मर्रा की चक्की को रोककर बीच-बीच में कभी प्रकृति के विशाल वैभव से एकाकार हो जाएँ और कभी सुदूर नगरों में ही अपने ही जैसे लेकिन भिन्न ढंग से जीते-मरते लोगों से अपने सुख-दु:ख बाँट आएँ।

इस पुस्तक के लेखक उन्हीं सौभाग्यवान और हौसलामन्द लोगों में हैं। घूमने का संस्कार उन्हें बचपन में ही मिल गया था जिसका निर्वाह वे अब तक कर रहे हैं। देश के लगभग हर हिस्से में हो आए हैं। यह पुस्तक उनकी उन्हीं यात्राओं का लेखा-जोखा है। अपनी सहज और अनुभवों से पकी भाषा में यहाँ वे अपने शुद्ध यात्री-रूप में उपस्थित हैं। उनकी इन यात्राओं को पढ़ते हुए उन लोगों को भी अपनी पहुँच से बाहर पड़ी उस विशाल प्रकृति, उस विराट जीवन का अनुभव होगा जो अब तक बस सोचते रहे हैं कि यार, कहीं घूम आया जाए। इस पुस्तक को पढ़कर वे अपने इरादों को और स्थगित नहीं कर पाएँगे।

More Information
Language Hindi
Publication Year 2016
Edition Year 2016, Ed. 1st
Pages 108p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Ambrish Kumar

Author: Ambrish Kumar

अंबरीश कुमार

पत्रकार और लेखक। प्राथमिक शिक्षा मुम्बई में और उसके बाद विश्वविद्यालय स्तर तक की शिक्षा लखनऊ में। 1978 में आपातकाल के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव में प्रतिनिधि चुने जाने के बाद छात्र आन्दोलनों में सक्रिय हिस्सेदारी। ‘छात्र युवा संघर्ष वाहिनी’ से जुड़ाव और ग़ैर-दलीय राजनीति में सक्रिय। 1987 से लखनऊ के ‘स्वतंत्र भारत’ से पत्रकारिता की शुरुआत। इससे पहले ‘नवभारत टाइम्स’ (लखनऊ) में नियमित लेखन। बंगलूर में हिन्दी अख़बार ‘आदर्श पत्र’ का क़रीब एक वर्ष तक सम्पादन। वर्ष 1988 से इंडियन एक्सप्रेस समूह के हिन्दी अख़बार ‘जनसत्ता’ से जुड़े। वर्ष 2000 में ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के छत्तीसगढ़ ब्यूरो की ज़ि‍म्मेदारी सँभाली। इसके बाद छत्तीसगढ़ में ‘जनसत्ता’ के स्थानीय सम्पादक और उत्तर प्रदेश में ब्यूरो प्रमुख की ज़िम्मेदारी। वर्ष 2015 से राष्ट्रीय पत्रिका ‘शुक्रवार’ के सम्पादन का दायित्व। पर्यावरण, पर्यटन और राजनैतिक लेखन में विशेष दिलचस्पी।

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