Gandhi-Drishti Ke Vividh Aayam

Edition: 2020, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Gandhi-Drishti Ke Vividh Aayam
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जब गांधी जी बर्बरीकरण की बात करते हैं तो वह केवल स्थूल हिंसा तक सीमित नहीं है। उसमें हिंसा के वे सब रूप और आयाम शामिल हैं, जिन्हें संरचनागत हिंसा, सांस्कृतिक हिंसा और पीड़ितोन्मुख अप्रत्यक्ष हिंसा कहते हैं। प्रत्यक्ष हिंसा भी इस संरचनागत हिंसा का ही प्रतिफलन होती है, जिसे सांस्कृतिक हिंसा एक वैधता प्रदान करने की कोशिश करती है।

महात्मा गांधी के विचार-सूत्रों में यदि इस प्रकार की सभी समस्याओं के प्रति एक अद्भुत जागरूकता तथा एक नैतिक-तार्किक संगति दिखाई देती है तो इसका कारण शायद यही है कि उनका सारा जीवन और चिन्तन अहिंसा-प्रेम के नियम से प्रेरित रहा है। विस्मय इस बात का होता है कि उनके नैतिक आग्रहों में कहीं भी अर्थशास्त्रीय सवालों की अनदेखी नहीं है। वह यह मानते हैं कि 'सच्चा अर्थशास्त्र कभी उच्चतम नैतिक मानकों का विरोधी नहीं होता, ठीक उसी प्रकार सच्चा नीतिशास्त्र वही माना जा सकता है, जो नीतिशास्त्र होने के साथ-साथ एक अच्छा अर्थशास्त्र भी हो...।

अब तो मेजारोस, लेबो विट्ज और टेरी इगल्टन जैसे नए मार्क्सवादी विचारक भी विकेन्द्रीकृत प्रौद्योगिकी और उत्पादन की बात करने लगे हैं, जिस पर न कॉरपोरेट का नियंत्रण हो, न राज्य का। यह उन उत्पादन-शक्तियों के विकल्प से ही हो सकता है, जो उत्पादन के साथ-साथ मुनाफ़े के वितरण की समस्या का भी समाधान अन्तर्निहित किए हैं। लेकिन विकेन्द्रीकृत तकनीक पर ही, जिसे गांधी जी 'स्वदेशी' कहते हैं, विकेन्द्रीकृत स्वामित्व का विकास हो सकता है। राष्ट्रीय अथवा बहुराष्ट्रीय, किसी भी प्रकार के पूँजीवाद और उसके अनिवार्य प्रतिफलन साम्राज्यवाद का विकल्प इसलिए 'स्वदेशी' तकनीकी और उत्पादन-व्यवस्था ही हो सकती है, जिसके अन्तर्गत मानवीय स्वातंत्र्य और व्यक्तित्व भी पोषित होता है और प्राकृतिक विनाश का ख़तरा भी नहीं रहता।

इस पुस्तक की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें गांधी-दृष्टि के विविध आयामों को उनके साध्य सत्य तथा साधन अहिंसा अर्थात प्रेम के बीज से पल्लवित सिद्ध करने का स्तुत्य प्रयास किया गया है।...यह पुस्तक जहाँ सामान्य पाठकों को गांधी-विचार की प्रामाणिक जानकारी दे सकेगी, वहीं अध्येताओं, छात्रों और अध्यापकों के लिए भी अतीव उपयोगी साबित होगी।    

—नन्दकिशोर आचार्य

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2020
Edition Year 2020, Ed. 1st
Pages 184p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Shambhu Joshi

Author: Shambhu Joshi

शम्भू जोशी

अजमेर (राजस्थान) में जन्मे डॉ. शम्भू जोशी महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) से 'अहिंसा एवं शांति अध्ययन' में एम.ए., एम.फिल्. एवं पीएच.डी. हैं। प्रारम्भिक शिक्षा गुलाबपुरा (जिला—भीलवाड़ा) और स्नातक तथा स्नातकोत्तर शिक्षा प्राज्ञ महाविद्यालय, विजयनगर (अजमेर) एवं राजकीय महाविद्यालय, अजमेर में हुई।

इनकी प्रकाशित पुस्तकों में ‘अहिंसक श्रम दर्शन’ (2018), ‘अहिंसक प्रतिरोध : थोरो, तोलस्तोय और गांधी’ (2014), पंडित रमाबाई की पुस्तक का हिन्दी अनुवाद ‘हिन्दू स्त्री का जीवन’ (2018), लियो तोलस्तोय की पुस्तक का हिन्दी अनुवाद ‘प्रेम और हिंसा’ (2006) शामिल हैं। ‘अहिंसा विश्वकोश’ (सं. : प्रो. नंदकिशोर आचार्य) एवं ‘समाज विज्ञान विश्वकोश’ (सं. : अभय कुमार दुबे) में इनकी प्रविष्टियाँ शामिल हैं।

सम्प्रति : दूर शिक्षा निदेशालय, महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत।

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