Dada Ladhe Shuturmurg Se

Author: Ruskin Bond
Translator: Rishi Mathur
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Dada Ladhe Shuturmurg Se
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बच्चों के लिए रस्किन बॉण्ड की पसंदीदा कहानियाँ. कोई विवेकवान व्यक्ति अगर अपने भीतर बच्चों-सा उत्साह, वैसी जिज्ञासा, विस्मय और कल्पनाशीलता जगा सके तो वह रस्किन बॉण्ड की तरह बच्चों का प्रिय लेखक बन सकता है. लेकिन यह इतना आसान होता तो रस्किन इतने प्रसिद्ध ही क्यों होते? बड़ों का ज्ञान बच्चे एक दिन हासिल कर लेते हैं, लेकिन बच्चे अपनी नई आँखों से रंग-बिरंगी दुनिया को जैसे देखते हैं, महसूसते हैं और कल्पना के परों पर जैसी उड़ान भरते हैं, वह बड़ों को दुबारा कभी हासिल नहीं होता. अपने भीतर दबे उस बाल-जगत को दुबारा छू लेने की यह विशिष्ट प्रतिभा रस्किन को मिली है. जिससे वे एक तरफ़ गंभीर विषयों की लोकप्रिय कहानियाँ लिखते हैं तो दूसरी तरफ़ बच्चों की ज़मीन पर उतरकर उनके नाज़ुक दिलों को छू लेते हैं. इस किताब में बच्चों के लिए स्वयं रस्किन बॉण्ड की पसंदीदा कहानियाँ हैं. इन कहानियों में बच्चों जैसा कौतुक है. किशोरों का उत्साह व हास्यबोध. और एक दृष्टिसंपन्न व्यक्ति का गहन व्यंग्य है. जिससे ये कहानियाँ बच्चों के लिए होकर भी बहुस्तरीय हो जाती हैं. तीनों ही वय के पाठक एक साथ इन्हें आनंदपूर्वक पढ़ सकते हैं. सबसे ख़ूबसूरत है रस्किन का कथा कहने का ढंग, इन कहानियों की शैली और भाषिक सरलता. कई कहानियों में रस्किन स्वयं एक पात्र हैं. इनमें उनका बचपन है, मासूमियत और खूबसूरत स्मृतियाँ हैं. इसलिए उन्हें जानने के लिए भी इन कहानियों को पढ़ सकते हैं. यह किताब विश्वप्रसिद्ध लेखक रस्किन बॉण्ड की तरफ़ से बच्चों के लिए सुन्दर उपहार उपहार है. इसकी हर कहानी आपके लिए यादगार होने वाली है.

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2022
Edition Year 2022, Ed. 1st
Pages 248p
Translator Rishi Mathur
Editor Not Selected
Publisher Unbound Script
Dimensions 20 X 13 X 1.5
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Author: Ruskin Bond

रस्किन बॉण्ड

रस्किन बॉण्ड भारत के विश्वप्रसिद्ध बाल कथाकार हैं। उनका जन्म 19 मई 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली में, अब्रे बॉण्ड और एडिथ क्लार्क के यहाँ हुआ था। रस्किन बॉण्ड 17 वर्ष की उम्र से लगातार लिख रहे हैं। अबतक सैकड़ों कहानियाँ, उपन्यास, संस्मरण और कविताएँ लिख चुके हैं। उनके रचे हुए ‘अंकल केन’ और ‘रस्टी’ जैसे चरित्र बाल साहित्य में यादगार माने जाते हैं। उनकी रचनाओं पर अनेक फ़िल्में बन चुकी हैं जिनमें ‘ब्लू अम्ब्रेला’, ‘जुनून’, सात ख़ून माफ’ आदि बहुचर्चित हैं। ‘आवर ट्रीज़ इज स्टिल ग्रो इन देहरा’ शीर्षक उपन्यास के लिए उन्हें प्रतिष्ठित साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्राप्त हुआ। साहित्य में उनके विशिष्ट योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा ‘पद्मश्री’ और ‘पद्मभूषण’ सम्मान से सम्मानित किया गया। वे मसूरी में रहते हैं।

 

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