Cinema Ke Baare Mein

Translator: Asghar Wajahat
Edition: 2022, Ed. 5th
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Cinema Ke Baare Mein
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इस पुस्तक में नसरीन मुन्नी कबीर ने जावेद अख़्तर जैसे बहुआयामी रचनाधर्मी से लम्बी बातचीत की है, जिसके अन्तर्गत जावेद की प्रारम्भिक रचनाओं पर पड़े प्रभावों, उनके पारिवारिक जीवन और फ़िल्म-जगत के महत्त्वपूर्ण पक्षों को उद्घाटित किया गया है, जहाँ जावेद ने सन् ’65 के आसपास ‘कैपलर-ब्वाय’ के तौर पर अपना करियर शुरू किया था। इस बातचीत में सलीम ख़ाँ के साथ उनके सफल साझे-लेखन पर भी पर्याप्त प्रकाश पड़ता है।

इस पुस्तक में मौलिक विचारक जावेद अख़्तर ने विश्लेषणात्मक ढंग से हिन्दी सिनेमा की परम्परा, गीत-लेखन और कथा-तत्त्व के विभिन्न पक्षों को उद्घाटित किया है और फ़िल्म-लेखन के कई पक्षों की सारगर्भित चर्चा की है। पटकथा-लेखन और फ़िल्मी शायरी के बारे में अपनी मौलिक मान्यताओं और रचना-प्रक्रिया के विभिन्न आयामों पर टिप्पणियाँ करने के साथ-साथ जावेद ने यह भी बताया है कि श्रेष्ठ पटकथाएँ और गीत कैसे लिखे जाते हैं?

जावेद ने सफ़ाई और ईमानदारी से अपनी शायरी और राजनैतिक जागरूकता की विकास-यात्रा पर भी महत्त्वपूर्ण चर्चा की है।

जावेद के हास्य-व्यंग्य, उनकी प्रखर बौद्धिकता, पटकथा-लेखन की तकनीक पर उनकी गहरी पकड़ और सोदाहरण बातचीत ने इस पुस्तक को उन सबके लिए महत्त्वपूर्ण बना दिया है, जिनकी फ़िल्म और कला में रुचि है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2001
Edition Year 2022, Ed. 5th
Pages 143p
Translator Asghar Wajahat
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Javed Akhtar

Author: Javed Akhtar

जावेद अख़्तर

शायर, पटकथाकार और गीतकार जावेद अख़्तर ऐसे गिने-चुने लोगों में हैं जो व्यावसायिक सिनेमा से लेकर शायरी और अदब तक की दुनिया में एक विशेष महत्‍त्व रखते हैं। भारतीय सिनेमा के इतिहास में जावेद अख़्तर का योगदान ‘ज़ंजीर’, ‘दीवार’ और ‘शोले’ जैसी फ़िल्मों के कालातीत महत्त्व से आँका जाता है जिनकी पटकथाएँ उन्होंने सलीम ख़ाँ के साथ मिलकर लिखी थीं। उर्दू और हिन्दी में प्रकाशित उनके कविता-संग्रह ‘तरकश’ और ‘लावा’ को हर तरह की सफलता मिली है। वे ‘लावा’ के लिए ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ से सम्मानित हो चुके हैं। उन्होंने ऐसे फ़िल्मी गीत लिखे हैं जिनका न केवल अनुकरण किया गया, बल्कि उनसे नई परम्परा की शुरुआत भी हुई। आज सिनेमा और साहित्य के क्षेत्र में जावेद अख़्तर अत्यन्त सफल और सम्माननीय व्यक्ति हैं।

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