Choolaha Aur Chakki

Author: Omprakash Dutt
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Choolaha Aur Chakki

किसी भी देश या समाज की सांस्कृतिक पहचान सिर्फ़ वहाँ जन्मे महापुरुषों से ही नहीं बनती बल्कि संस्कृति के निर्माण में उन अनाम लोगों की भी भागीदारी होती है जो रोज़मर्रा की गतिविधियों में संलग्न रहते हुए भी अपना एक जीवन–सन्देश छोड़ जाते हैं।

शहर चकवाल की भागवन्ती ऐसा ही चरित्र है जिसने अनपढ़ होते हुए भी अपने बच्चों को पढ़ा–लिखाकर न केवल क़ाबिल बनाया बल्कि इंसानियत के गुण भी उनमें विकसित किए। घर–गृहस्थी के चूल्हा, चरखा और चक्की में व्यस्त रहनेवाली भागवन्ती जितनी पारम्परिक है, उतनी ही आधुनिक भी। उसका चरित्र जैसे एक अबूझ पहेली हो। गांधी हत्या के बाद पहले तो वह अपने पति से कहती है कि, ‘‘सोग मनाना है तो मनाओ, तुम्हारे लिए महात्मा होगा या उन लोगों के लिए जो कुर्सियाँ सँभाले बैठे हैं।’’ लेकिन थोड़ी ही देर बाद जब बहू आकर पूछती है कि आज खाना क्या बनेगा तो एक पल रुककर ग़ुस्से में कहती है ‘‘कैसे घर से आई हो तुम, इतना बड़ा आदमी मर गया और तुम पूछ रही हो—खाना क्या पकेगा! शर्म नहीं आती?’’

सुख–दु:ख, हास्य–रुदन, जीवन–मरण, अच्छाई–बुराई की जीवन्त झलकियों का सुन्दर कोलाज है यह लघु औपन्यासिक कृति। इसमें आज़ादी के पूर्व से लेकर गांधी हत्या तक की राजनीतिक हलचलों की अनुगूँज भी सुनाई पड़ेगी। प्रवाहपूर्ण भाषा तथा बतकही के शिल्प में बुना यह उपन्यास बेहद पठनीय बन पड़ा है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2002
Edition Year 2002, Ed. 1st
Pages 79p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Author: Omprakash Dutt

ओमप्रकाश दत्त

जन्म : 7 मार्च, 1922; मुंडुमारी, तहसील—चकवाल, ज़िला—झेलम, पंजाब (अब पाकिस्तान) में।

शिक्षा : इतिहास में विशेष योग्यता के साथ एम.ए.।

कार्य : कुछ समय तक लाहौर के फ़तेहचंद महिला कॉलेज में इतिहास का अध्यापन, फिर प्रभात फ़िल्म कम्पनी पुणे में पटकथा-लेखक के रूप में नौकरी की।

प्रमुख कृतियाँ : ‘चूल्‍हा और चक्‍की’ चर्चित उपन्‍यास। ‘चिराग़’, ‘मस्ताना’, ‘दो रास्ते’, ‘जीत’, ‘ग़ुलामी’, ‘यतीम’, ‘हथियार’, ‘क्षत्रिय’, ‘बँटवारा’, ‘बॉर्डर’, ‘रिफ़्यूजी’ आदि फ़िल्मों में संवाद-लेखन तथा ‘प्यार की जीत’, ‘हमारी मंज़िल’, ‘एक नज़र’, ‘बड़ी बहन’, ‘मालकिन’ आदि फ़िल्मों में निर्देशन।

 

 

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