‘चिन्ताघर’ कथा–साहित्य में ताज़गी-भरा सशक्त और सन्तुलित प्रयोग है। कथा–लेखन में और व्यंग्य–लेखन में हमारे यहाँ जो कुछेक ऊबाऊ रूढ़ियाँ बन रही हैं, लेखक उनसे सर्वथा दूर है। यशवंत व्यास शब्दों का सधा हुआ मितव्ययी प्रयोग करते हैं और ऐसा अकारण नहीं होता है कि वे प्रत्यक्षत: कोई अनावश्यक प्रतीत होनेवाला वाक्य लिखें या अपने कथन को दोहराएँ। ऐसे स्थलों पर प्राय: शैली की माँग का दबाव ही ज़िम्मेदार होता है। इस प्रकार का अनुशासित लेखन दुर्लभ–सा है, ख़ास तौर से ऐसी शैली में जहाँ भाषाई चमत्कार और आधुनिक जीवन के विविध सन्दर्भ–संकेतों का खुलकर उपयोग किया गया हो। कुछ अलग–अलग स्थितियों, घटनाओं और फंतासियों को लेकर ही उपन्यास का ताना–बाना तैयार किया गया है, पर उनका अन्तर्गुम्फन ऐसा है जो सहज रूप से उपन्यास को एकसूत्रता में बाँध लेता है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 1996
Edition Year 1996, Ed. 1st
Pages 143p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 12.5 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Chintaghar
Your Rating
Yashwant Vyas

Author: Yashwant Vyas

यशवंत व्यास

नए प्रयोगों के लिए चर्चित व्यंग्यकार-पत्रकार यशवंत व्यास कई मीडिया उपक्रमों में प्रमुख रहे हैं। उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं—‘बोसकीयाना’, ‘चिन्ताघर’, ‘कामरेड गोडसे’, ‘ख्वाब के दो दिन’, ‘अपने गिरेबान में’, ‘कल की ताजा ख़बर’, ‘अमिताभ का अ’, ‘हिट उपदेश’, ‘अब तक छप्पन’, ‘इन दिनों प्रेम उर्फ़ लौट आओ नीलकमल’, ‘यारी-दुश्मनी’, ‘जो सहमत हैं सुनें’ आदि।

‘अमर उजाला’ के समूह सलाहकार और कई सम्मानों से सम्मानित यशवंत व्यास डिजिटल और प्रिंट के साझे की दोस्ताना कारीगरी पर कुछ अनूठे प्रयोगों में व्यस्त हैं। कोरोना की पहली लहर में रिलीज ‘कवि की मनोहर कहानियाँ’ (के के एम के) इतनी लोकप्रिय हुईं कि तीसरी के धड़के में नए गुनाहों के साथ ‘के के एम के रिबूट’ हुई।

ई-मेल : yashwantvyas@gmail.com

Read More
Books by this Author
Back to Top