यह पुस्तक चम्पारण सत्याग्रह में गणेश जी की भूमिका का रोचक अध्ययन है। जब एक सदी बाद चम्पारण के सत्याग्रह की चर्चा हो रही है, देश उस लड़ाई को फिर से याद कर रहा है जिसके बाद भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में किसानों की समस्याएँ एक अभिन्न हिस्सा बन गई। वह संघर्ष जिसने मोहनदास करमचन्द गांधी को महात्मा गांधी बना दिया और उन्हें करोड़ों भारतीय के दिलों में बसा दिया, उस आन्दोलन के सूत्रधार और उसके सहयोगियों की चर्चा के बिना यह संघर्षगाथा अधूरी है। यह पुस्तक दरअसल स्वाधीनता-संग्राम की समझ के प्रति समझ के धरातल का विस्तार करती है।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2018 |
Edition Year | 2018, Ed. 1st |
Pages | 164 |
Publisher | Lokbharti Prakashan |
Dimensions | 22 X 14.5 X 1.5 |