Bhartiya Rangkosh : Vol. 2

Cyclopedia
You Save 20%
Out of stock
Only %1 left
SKU
Bhartiya Rangkosh : Vol. 2

नाटक और रंगकर्म की सन्दर्भ सामग्री के रूप में यह रंगकोश एक नई पहल है। इसके पहले खंड में हिन्दी में मंचित नाटकों का इतिहास संकलित है। कब किसने किस नाटक को निर्देशित किया, नाटक किसका लिखा हुआ है, और उसे किस दल ने मंच पर उतारा आदि-आदि ब्यौरों से सम्बन्धित यह कोश सहज ही हमें नाट्य-लेखन और रंगकर्म के इतिहास में भी ले जाता है, और यह भी बताता है कि हिन्दी में लिखित और मंचित नाटकों की वास्तव में एक बड़ी दुनिया रही है।

इस दूसरे खंड में उन रंग-व्यक्तित्वों के बारे में जानकारियाँ दी गई हैं जिनका गहरा रिश्ता हिन्दी रंगमंच से रहा है। इनमें नाटककला, निर्देशक, अभिनेता, संगीत-सर्जक, मंच-प्रकाश-परिधान परिकल्पक आदि के साथ-साथ प्रेरक व्यक्तित्वों का परिचय भी अकारादिक्रम से दिया गया है। उन दूसरी भाषाओं के नाटककारों को भी इसमें शामिल किया गया है, जिनके अनूदित नाटक हिन्दी में लोकप्रिय रहे हैं। इस प्रकार कुल लगभग चार सौ रंग-व्यक्तित्वों की प्रविष्टियाँ इस कोश में शामिल हैं।

हिन्दी के रंगमंच से जुड़ी शख़्सियतों को सूचीबद्ध करना, उनमें से इन महत्त्वपूर्ण लोगों का चयन करना और फिर जम्मू से कोलकाता तक के व्यापक क्षेत्र में, विभिन्न नगरों में सक्रिय रंगकर्मियों के बारे में सूचनाएँ एकत्र करना बहुत ही कठिन कार्य था।

सम्पादक के सराहनीय परिश्रम और मेधा को इस पुस्तक से गुज़रते हुए सहज ही लक्षित किया जा सकता है। निश्चित रूप से यह रंगकोश हिन्दी रंगकर्म की दुनिया में एक मील का पत्थर है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2006
Edition Year 2006, Ed. 1st
Pages 320p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 25 X 18.5 X 2
Write Your Own Review
You're reviewing:Bhartiya Rangkosh : Vol. 2
Your Rating

Editorial Review

It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here

Pratibha Agarwal

Author: Pratibha Agarwal

प्रतिभा अग्रवाल

जन्म : 10 अगस्त, 1930; वाराणसी। स्थायी निवास कोलकाता, 1945 से। हिन्दी साहित्य में एम.ए. एवं हिन्दी मुहावरों के संकलन, विवेचन-विश्लेषण एवं कोश-सम्पादन के शोधकार्य पर डी.फ़िल. एवं डी.लिट. की उपाधियाँ। अध्ययन, अध्यापन, लेखन एवं अनुवाद तथा रंगकर्म के विविध पक्षों के साथ गहरा लगाव। सन् 1971 से पूरे समय रंगमंचीय गतिविधियों के लिए समर्पित। लेखिका तथा अनुवादिका के अतिरिक्त हिन्दी रंगमंच में एक महत्त्वपूर्ण अभिनेत्री के रूप में भी प्रतिष्ठित।

प्रमुख कृतियाँ : ‘सूरदास’ (नाटक, 1978), ‘सृजन का सुख-दु:ख’ (रंग-संस्मरण, 1981), ‘खेल-खेल में’ (बच्चों की कविताएँ, 1986), ‘मोहन राकेश’ (1987), ‘हिन्दी मुहावरों का विवेचनात्मक विश्लेषण’ (1988), ‘दस्तक ज़ि‍न्‍दगी की’, ‘मोड़ ज़ि‍न्‍दगी का’ (आत्मकथाएँ, 1990 एवं 1996) तथा ‘प्‍यारे हरिचंदजू’ (जीवनीपरक उपन्यास, 1997); ‘भारतीय रंगकोश : सन्‍दर्भ हिन्‍दी’—खंड : 2 (रंग व्‍यक्तित्‍व), ‘मास्टर फ़ि‍दा हुसैन : पारसी रंगमंच पर पचास वर्ष’, ‘हबीब तनवीर : एक रंग व्यक्तित्व’ (सभी का सम्‍पादन) आदि।

तीस से अधिक नाटकों का अनुवाद एवं कई उपन्यासों के नाट्यरूपान्तर।

‘संगीत नाटक अकादेमी पुरस्‍कार’ सहित कई पुरस्‍कारों से सम्‍मानित।

रंगमंच के क्षेत्र में तथ्य संग्रह करनेवाली पहली संस्था नाट्य शोध संस्थान की 25 वर्ष पूर्व स्थापना और तभी से उसके संगठन व संचालन से सम्बद्ध।

Read More
Books by this Author

Back to Top