Facebook Pixel

Bhartiya Mukti Andolan Aur Premchand

Author: Saroj Singh
Edition: 2017, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
30% Off
Out of stock
SKU
Bhartiya Mukti- Andolan Aur Premchand

प्रेमचन्द के सम्पूर्ण कृतित्व को भारतीय मुक्ति-आन्दोलन की महागाथा कहा जाए तो शायद यह अत्युक्ति नहीं होगी। 1907 से लेकर 1936 तक के भारतीय जीवन-सन्दर्भों का उनके द्वारा प्रस्तुत सर्वांगीण चित्रण का केन्द्र-बिन्दु भारतीय जनता को मुक्ति की प्रबल आकांक्षा है। वे मानते थे कि साहित्यकार—“देशभक्ति और राजनीति के पीछे चलनेवाली सच्चाई नहीं, बल्कि उससे आगे मशाल दिखाती हुई चलनेवाली सच्चाई है।”

भारतीय मुक्ति-आन्दोलन के सन्दर्भ में उनके इस कथन का विशेष अर्थ इसलिए है कि साहित्य में राजनीतिज्ञों के विचारों का अनुगम करने की आशा की जाती है। लेकिन प्रेमचन्द इस भ्रम को वैचारिक और रचनात्मक दोनों स्तरों पर तोड़ते हैं। सन् 1930 ई. में बनारसीदास चतुर्वेदी को लिखे पत्र में प्रेमचन्द की अभिलाषा इसका प्रमाण है—“मेरी अभिलाषाएँ बहुत सीमित हैं। इस समय सबसे बड़ी अभिलाषा यही है कि हम अपने स्वतंत्रता-संग्राम में सफल हों। मैं दौलत और सोहरत का इच्छुक नहीं हूँ। खाने को मिल जाता है। मोटर और बँगले की मुझे हविश नहीं है। हाँ, यह ज़रूर चाहता हूँ कि दो-चार उच्चकोटि की रचनाएँ छोड़ जाऊँ लेकिन उनका उद्देश्य स्वतंत्रता-प्राप्ति ही हो।” प्रेमचन्द के भारतीय मुक्ति की इसी अप्रतिम सरोकारों को अभिव्यक्त करना ही मेरा लक्ष्य रहा है।

—इसी पुस्तक से।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2017
Edition Year 2017, Ed. 1st
Pages 352p
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2.2
Write Your Own Review
You're reviewing:Bhartiya Mukti Andolan Aur Premchand
Your Rating
Saroj Singh

Author: Saroj Singh

सरोज सिंह

1 जनवरी, 1959 को जन्मी डॉ. सरोज सिंह ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गाँव से व हाईस्कूल और इन्टरमीडिएट की परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। तत्पश्चात् स्नातक व परास्नातक की परीक्षाएँ इलाहाबाद से प्रथम श्रेणी व प्रथम स्थान में पास कीं। कथाकार मार्कण्डेय के प्रयास से प्रख्यात आलोचक डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी के निर्देशन में शोधकार्य पूर्ण किया।

सन् 1984 में तिलकधारी कॉलेज, जौनपुर के हिन्दी विभाग में प्रवक्ता के पद पर अध्यापन कार्य करने के साथ-साथ विभिन्न साहित्यकारों, कालखंडों और हिन्दी साहित्य से सम्बद्ध विषयों पर छात्र-छात्राओं को अपने निर्देशन में शोधकार्य भी करवाया।

वर्तमान में तिलकधारी कॉलेज में एसोशिएट प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत हैं।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top