‘भारत के विकास की समस्याएँ और समाधान’ राष्ट्र की ज्वलन्त समस्याओं पर लेखों का संग्रह है। इसमें जीवन, समाज एवं प्रबन्धन के उन सभी आयामों को स्पर्श किया गया है जो विकास के अपरिहार्य अंश हैं। यह पुस्तक अपने में सम्पूर्ण है तथा भारत के लिए उन ठोस उपायों का पथ-प्रदर्शन करती है जिनके आधार पर वर्तमान विषम परिस्थितियों का शक्तिशाली ढंग से मुक़ाबला किया जा सकता है।
इस कृति में गहन विश्लेषण एवं व्यावहारिकता का समन्वय है।
लेखक के अनुसार भारत के विकास के महायज्ञ में सभी का योगदान समान रूप से अपेक्षित है। केवल सरकार पर आश्रित होना अन्याय होगा।
आशा है कि नीति नियोजक, नेतृवृन्द, प्रशासक, कर्मचारी, पंचायतों तथा नगरपालिकाओं के प्रतिनिधि तथा भारतीय जन-गण इन लेखों से प्रेरणा ग्रहण करके स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद वाले नए भारत का निर्माण करेंगे जो स्वदेशी पथ पर चलकर आधुनिक विश्व-प्रतियोगिता में अग्रणी होगा।
Language | Hindi |
---|---|
Binding | Hard Back |
Edition Year | 1998 |
Pages | 114p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Lokbharti Prakashan |
Dimensions | 21 X 14 X 1.5 |