Bezubaan

Author: Subhash Sharma
As low as ₹335.75 Regular Price ₹395.00
You Save 15%
In stock
Only %1 left
SKU
Bezubaan
- +

सुभाष शर्मा ने नवें दशक में युवा कथाकार के रूप में अपनी स्पष्ट पहचान बनाई है। जीवन के विभिन्न आयामों को काफी गहराई से देखने एवं समझने का माद्दा उनमें है। वे सामाजिक घटनाओं को ऐसी दृष्टि से देखते हैं जो समाज को आगे ले जाने वाली होती है। उनकी सोच-समझ कभी भी बने-बनाए साँचे में फिट नहीं होती क्योंकि वह जीवनानुभव से संबद्ध है। उनकी कहानी 'बेजुबान' नवें दशक की एक महत्त्वपूर्ण कहानी है। इसकी चर्चा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में होती रही है। समकालीन हिंदी कहानी से गुजरते हुए यह बात निर्विवाद रूप से कही जा सकती है कि सामाजिक अनुभवों का दायरा और अधिक व्यापक हुआ है, तथा मानवीय दृष्टिबोध और अधिक गहरा। अपने आसपास बिखरे जीवन-यथार्थ को अनदेखा कर आज का कथाकार किसी अगम्य फलसफे को रचने में विश्वास नहीं रखता। कहना न होगा कि सुपरिचित कवि-कहानीकार सुभाष शर्मा के इस संग्रह की कहानियों को इसी श्रेणी में रखा जाएगा। इस संग्रह में सुभाष की दस कहानियाँ संगृहीत हैं और इनमें से प्रायः प्रत्येक कहानी भारतीय जन-जीवन की किसी-न-किसी विडंबना को उजागर करती है। आजादी के बाद हमारे चारों ओर जिस सामाजिक, राजनीतिक, प्रशासनिक और शैक्षिक तंत्र का निर्माण हुआ है, मनुष्य उसमें किसी शिकार की तरह छटपटा रहा है। इस तंत्र में मौजूद जल्लादों के अनेक चेहरे 'जल्लाद' नामक व्यक्ति से कहीं अधिक भयावह हैं। 'हिंदुस्तनवा', 'फरिश्ते', 'जमीन', 'आँचल' और 'जल्लाद' जैसी कहानियाँ अपनी गंभीर अर्थवत्ता से हमें बहुत गहरे तक झकझोरती हैं, और यदि 'फरिश्ते' के सहारे कहा जाए तो हर प्रकार की अमानवीय दुर्गंध के बावजूद मानवीय संबंधों की महक का भी बखूबी अहसास कराती हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2000
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 144p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Bezubaan
Your Rating

Author: Subhash Sharma

सुभाष शर्मा

सुभाष शर्मा का जन्म 20 अगस्त, 1959 को सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से समाजशास्त्र में एम.ए. और एम. फिल. किया। मैनचेस्टर विश्वविद्यालय, इंग्लैंड से विकास प्रशासन एवं प्रबंधन में भी एम.ए. किया। ‘सम्भव’ पत्रिका के सम्पादक रहे। उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—‘अंगारे पर बैठा आदमी’, ‘जिन्दगी का गद्य’ (कविता-संग्रह); ‘दुष्चक्र’, ‘बेजुबान’ (कहानी-संग्रह); ‘मवेशीबाड़ा’ (जार्ज आर्वेल के उपन्यास का अनुवाद); ‘कायान्तरण तथा अन्य कहानियाँ’ (काफ्का की कहानियों का अनुवाद); ‘अँधेरा वहाँ भी है’ (विश्व की श्रेष्ठ कहानियाँ); एग्रेरियन रिलेशन्स (अंग्रेजी में); ‘भारत में बाल मजदूर’, ‘मीठी बोली’ (बाल-कथाएँ); ‘भारतीय महिलाएँ : दशा एवं दिशा’ (अन्य)।

उन्हें बिहार सरकार द्वारा ‘विशिष्ट हिन्दी-सेवी सम्मान’ से सम्मानित किया गया। पर्यावरण पर किया गया उनका शोध-कार्य ‘इंटैक’ (भारत) द्वारा पुरस्कृत हुआ।

Read More
Books by this Author
Back to Top