यह उपन्यास भारत और पाकिस्तान के सम्मिलित उर्दू कथा साहित्य में अपनी अनूठी कथा-शैली और इंसानी सरोकारों के संवेदनशील आकलन के कारण अपूर्व स्थिति रखता है। हिन्दू-मुस्लिम सांस्कृतिक मिथकों, क़िस्सों, जातक कथाओं, लोककथाओं को यथार्थपरक घटनाओं के साथ इस जादू से पिरोया गया है कि कथ्य की सम्प्रेषणीयता देश-काल को लाँघ गई है।

इस उपन्यास में भारत के विभाजन के बाद सीमा-पार के एक संवेदनशील व्यक्ति की मनःस्थिति, अपनी जड़ों से फिर से जुड़ने की अकुलाहट, अपनी सांस्कृतिक पहचान की छटपटाहट से उत्पन्न नॉस्टेल्जिया, 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तान की फ़िज़ा में आम आदमी की प्रतिक्रियाएँ, बौद्धिकों की नपुंसकता, जकड़ती हुई राजनीतिक व्यवस्था की काली छाया का चित्रण बड़ी ही सहज और रोचक भाषा में किया गया है। उपन्यासकार अपने इस उपन्यास में इस भोलेपन से इंसानी नियति से जुड़े अनेक मूलभूत प्रश्न उठाता है कि निरंकुश राजनीति की काइयाँ नज़र पहचाने भी और न भी पहचाने।

सांस्कृतिक पहचान की अन्तर्यात्रा का यह उपन्यास भारतीय पाठकों को बेहद रुचेगा।

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 1982
Edition Year 2019, Ed. 4th
Pages 174p
Translator Abdul Mughani
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Intizar Hussain

Author: Intizar Hussain

इंतजार हुसैन

जन्म : 7 दिसम्बर, 1923 को डिबाई, ज़िला—बुलंदशहर (उ.प्र.) में। 1947 में पाकिस्तान गए और लाहौर में बसेरा। पाकिस्तान के शीर्षस्थ कथाकार।

शिक्षा : प्रारम्भिक और धार्मिक शिक्षा घर पर हुई। हापुड़ से हाईस्कूल किया, 1946 में मेरठ कॉलेज से उर्दू में एम.ए.।

पत्रकारिता : 'दैनिक इमरोज़', 'आफ़ाक़', 'नवाए-वक़्त' और 'मशरिक़' से सम्बद्ध रहे। अंग्रेज़ी दैनिक 'डॉन' (कराची) में स्तम्भ-लेखन। साहित्यिक पत्रिका—‘अदबे-लतीफ़’ के सम्पादक रहे।

पहली कहानी ‘क़य्यूमा की दुकान’ अप्रैल 1948 में लिखी जो दिसम्बर 1948 में ‘अदबे-लतीफ़’ में प्रकाशित हुई।

प्रमुख कृतियाँ : उपन्यास—‘चाँद गहन’, ‘बस्ती’, ‘आगे समन्दर है’, ‘तज़्किरा’ (नया घर); लघु उपन्यास—‘दिन और दास्तान’। सम्पूर्ण कहानियाँ—‘जनम कहानियाँ : खंड 1’, ‘क़िस्सा कहानियाँ : खंड 2’; कहानी-संग्रह—‘गली-कूचे’, ‘कंकरी’, ‘आख़िरी आदमी’, ‘शहरे-अफ़सोस’, ‘कछुए’, ‘ख़ेमे से दूर’, ‘ख़ाली पिंजरा’, ‘शह्रज़ाद के नाम’, ‘एन अनरिटेन एपिक एंड अदर स्टोरीज़’ (अंग्रेज़ी में अनुवाद); आलोचना—‘अलामतों का ज़वाल’; यात्रा-कथा—ज़मीन और फ़लक, नए शहर, पुरानी बस्तियाँ; संस्मरण—‘चराग़ों का धुआँ’, ‘दिल्ली जो एक शहर था’; जीवनी—‘अजमले-आज़म’ (हकीम अजमल खाँ की जीवनी); अख़बारी कॉलम—ज़र्रे; अनुवाद—‘घास के मैदानों में : चेखव’, ‘नई पौद : तुर्गनेव’, ‘सुर्ख तम्ग़ा’ : स्टीफ़न क्रेन (उपन्यास); ‘नाव’ (अमरीकी कहानियों का चयन); ‘हमारी बस्ती’ : थार्नटन वाइल्डर (नाटक); ‘फ़लसफ़ा की नई तश्कील’ : जॉन डेवी (दर्शनशास्त्र); ‘माऊज़े तुंग’ : स्टेवर्ट श्रेम।

सम्पादन : ‘इंशा की दो कहानियाँ’, ‘हज़ार दास्तान’—रतननाथ सरशार।

सम्मान : ‘बस्ती’ के लिए पाकिस्तान के सबसे बड़े पुरस्कार ‘आदमजी एवार्ड’ से सम्मानित। बाद में इस पुरस्कार को इंतज़ार हुसैन ने वापस कर दिया।

निधन : 2 फरवरी, 2016

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