Bakhtiyarpur

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कुछ चीज़ें होती हैं जो हम से छूट जाती हैं, कभी हमारे हाथ से फिसल जाती हैं, कभी उन्हें हमसे छीन लिया जाता है; कुछ चीज़ें होती हैं जो हमारे पास रह जाती हैं और छूटी हुई, जा चुकी चीज़ों, लोगों, जगहों की याद हमें दिलाती रहती हैं। कुछ सपने होते हैं हमारे, कुछ इच्छाएँ होती हैं, कुछ नहीं किए जा सके काम होते हैं, जो हमें अकसर बुलाते रहते हैं। प्रेम होता है, जिसके दोनों तरफ़ पीड़ा होती है—पा लेने की अपनी, न पाने की अपनी।

ऐसी ही चीज़ों से हम बनते हैं, हमारी दुनिया बनती है। विनय सौरभ का कवि जैसे इस दुनिया की हर खुली-अधखुली खिड़की में झाँकता-देखता फिरता रहता है। हर किसी के अनुभवों का उदास-सा विस्तार मालूम होतीं इस संग्रह की कविताएँ जीवन के अधूरेपन की तरफ़ इतने अनायास ढंग से इशारा करती हैं कि हम अपनी तथाकथित पूर्णताओं को लेकर सन्देह से भर उठते हैं।

स्मृतियों, विडम्बनाओं और मध्यवर्गीय जीवन की साँवली उदासियों में अपनी कविता को आकार देनेवाले विनय सौरभ के इस संग्रह में वे कविताएँ भी हैं जो राजनीति, सत्ता और बाजार की आक्रामकताओं की आलोचना करती हैं; और उनके जादू को समझने, उनके तिलिस्म को तोड़ने की कोशिश भी करती हैं।

कविता-प्रेमी पाठक को इस किताब में ऐसे अनेक स्थल मिलते हैं जहाँ वह ठहरकर अपने आप और अपनी दुनिया को दुबारा से देखना चाहता है। 

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 192p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Vinay Saurabh

Author: Vinay Saurabh

विनय सौरभ

विनय सौरभ का जन्म 22 जुलाई, 1972 को नोनीहाट, संथाल परगना‌, झारखंड में हुआ। उन्होंने टी.एन.बी. कॉलेज भागलपुर से स्नातक और भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), नई दिल्ली से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा किया। पिछले तीन दशक से विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कविताएँ, संस्मरण, लेख आदि प्रकाशित होते रहे हैं।

उन्हें राजभाषा विभाग एवं राष्ट्रभाषा परिषद, बिहार के ‘युवा लेखन पुरस्कार’, ‘कवि कन्हैया स्मृति सम्मान’, ‘सूत्र सम्मान’, ‘बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान’ से सम्मानित किया गया है।

सम्प्रति झारखंड के सहकारिता विभाग में कार्यरत हैं।

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