Awarn Mahila Constable Ki Diary

Author: Neerja Madhav
Edition: 2010, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Awarn Mahila Constable Ki Diary

उपन्यास के क्षेत्र में नीरजा माधव असाधारण सिद्धि-सम्पन्न लेखिका हैं। उनकी विचार-विदग्धता, भाव-प्रवणता, अनछुए विषयों का वैविध्य उन्हें अपने समय के अन्य रचनाकारों से अलग रेखांकित करता है। उनके एक-एक शब्द में एक संस्कृति, जीवन-शैली अथवा सुख-दु:ख की आकृति सिमटी होती है जिसे दृष्टि-ओझल करते ही कथा-सूत्र के छूट जाने का भय होता है। यहाँ पर वे उन लेखकों से बिलकुल भिन्न हैं जो एक ही दृश्य के लम्बे, उबाऊ और शब्दों के मकड़जाल में पाठकों को उलझाए रखने का व्यापार करते हैं। नीरजा माधव के उपन्यासों में अपने युग की व्यापक बेचैनी, वेदना और सार्थक प्रतिक्रिया की अभिव्यक्ति दिखलाई पड़ती है। दलित-विमर्श और स्त्री-विमर्श के प्रचलित मुहावरों से बिलकुल पृथक् वे अपना मुहावरा स्वयं गढ़ती हैं और इस प्रकार अपनी राह भी। कुछ क्षण के लिए शिराओं में झनझनाहट पैदा करनेवाला साहित्य देने के पक्ष में वे कभी नहीं रहीं। इस उपन्यास की भूमिका में भी वे लिखती हैं—‘साहित्य का लक्ष्य मनुष्य के भीतर प्रेम, संयम, समर्पण और त्याग की उदात्त भावनाओं को जाग्रत करना है। ऐसे में यदि साहित्यकार भी मनुष्य की आदिम प्रवृत्ति को ही उत्तेजित करने का व्यापार करने लगेगा तो यह सृजन तो नहीं ही हुआ।’

एक अनछुए विषय पर लिखा गया अप्रतिम और पठनीय उपन्यास है : ‘अवर्ण महिला कान्स्टेबल की डायरी’।

आस्था पर हमलों और धार्मिक संघर्षों का इतिहास प्राचीन होते हुए भी नित नए विकृत रूपों में समाज को प्रभावित कर रहा है। ऐसे ही एक प्राचीन धार्मिक स्थल की सुरक्षा में लगी अवर्ण महिला कान्स्टेबल अपनी कर्तव्यनिष्ठा का निर्वहन करते हुए आसपास के परिवेश को अपनी पैनी दृष्टि से देखती है और इतिहास तथा वर्तमान की अपनी व्याख्या करती है। नायिकाप्रधान यह उपन्यास अतीत की विसंगतियों के साथ वर्तमान में भी जड़ें जमाए अनेक कुंठाओं एवं आग्रहों के साथ दलित-विमर्श के कई अनछुए पक्षों को रेखांकित करता चलता है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2010
Edition Year 2010, Ed. 1st
Pages 136p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Neerja Madhav

Author: Neerja Madhav

नीरजा माधव

जन्म : 15 मार्च 1962, जौनपुर के गाँव में।

शिक्षा : एम.ए. (अंग्रेज़ी), पीएच.डी. (बी.एच.यू)।

प्रकाशित कृतियाँ : ‘यमदीप’, ‘तेभ्यः स्वधा’, ‘गेशे जम्पा’, ‘अनुपमेय शंकर’, ‘इहामृग’, ‘अवर्ण महिला कॉन्स्टेबल की डायरी’, ‘धन्यवाद सिवनी’, ‘रात्रिकालीन संसद’, ‘देनपा : तिब्बत की डायरी’, ‘त्रिपुरा’ (उपन्यास); ‘चिटके आकाश का सूरज’, ‘अभी ठहरो अन्धी सदी’, ‘आदिमगन्ध तथा अन्य कहानियाँ’, ‘पथदंश’, ‘चुप चन्तारा रोना नहीं’, ‘वाया पाँड़ेपुर चौराहा’, ‘पत्थरबाज़’, ‘प्रेम संबंधों की कहानियाँ’, ‘टेपरा’, ‘साँझ से पहले’ (वृद्ध विमर्श की कहानियाँ) आदि (कहानी-संग्रह); ‘प्रथम छंद से स्वप्न’, ‘प्रस्थानत्रयी’, ‘प्यार लौटना चाहेगा’, ‘लिखते हुए शोकगीत’ (कविता-संग्रह); ‘चैत चित्त मन महुआ’, ‘साँझी फूलन चीति’, ‘हिन्दी साहित्य का ओझल नारी इतिहास’, ‘रेडियो का कलापक्ष’, ‘यह राम कौन हैं’, ‘तत्त्वबोध विवेचनी’, ‘साहित्य और संस्कृति की पृष्ठभूमि’, ‘शंकराचार्य पीठ और परंपरा’, ‘हिन्दू धर्म स्वरुप’, ‘भारत राष्ट्र और उसकी शिक्षा पद्धति’, ‘किन्नर नहीं हिजड़ा समुदाय’, ‘Sarojini Naidu : From Time to Eternity’ (ललित निबंध एवं अन्य विधाएँ)।

अनेक कृतियों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद। कुछ उपन्यास, कहानियाँ विभिन्न विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में शामिल।

पुरस्कार/सम्मान : उ.प्र. हिन्दी संस्थान द्वारा ‘सर्जना पुरस्कार’ और ‘यशपाल पुरस्कार’। म.प्र. का ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘शंकराचार्य पुरस्कार’, ‘शैलेश मटियानी राष्ट्रीय कथा पुरस्कार’, ‘राष्ट्रीय साहित्य सर्जक पुरस्कार’। लेजिस्लेटिव असेम्बली, अल्बर्टा (कनाडा) द्वारा मौलिक लेखन के लिए जुलाई 2018 में सम्मानित।

सहायक निदेशक, आई.बी.पी.एस. आकाशवाणी (प्रसार भारती)।

‘राष्ट्रीय पुस्तक न्यास’ की न्यासी सदस्य (भारत सरकार द्वारा नामित)।

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