Aupniveshik Aabkari

Author: Girija Pande
Edition: 2023, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Aupniveshik Aabkari

नशे का इतिहास चाहे आदमी के इतिहास से कुछ कम पुराना हो पर इसे सुव्यवस्थित आर्थिक स्रोत का रूप औपनिवेशिक काल में मिला। इतिहास में अपने धर्म और समाज के लिए मरने वालों की अपेक्षा बहुत अधिक अपने पीने की आदत और अफीम से मरे हैं। एल्डस हक्सले ने इस उत्कंठा को मुक्ति या मृत्यु के लिए नहीं, दासता को अंगीकार कर मृत्यु की ओर बढ़ना बताया है।
नशे के इस तंत्र ने औपनिवेशिक व्यवस्था को अर्थाधार दिया और नशे से अपरिचित समाजों में भी इसका रोपण किया। औपनिवेशिक आबकारी के जन्म से पूर्व उत्तराखंड में शराबखोरी और इससे उत्पन्न सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक विकृतियों व बिखराव की समस्या नहीं जन्मी थीं। जिन स्थानीय लघु समाजों में शराब का प्रचलन था उसे भोजन पद्धति का सदियों से विकसित रूप माना जा सकता है, पर जिन बड़े सामाजिक हिस्सों में इसका फैलाव पिछली एक सदी में हुआ, वह औपनिवेशिक विकास से सम्बद्ध है। औपनिवेशिक सत्ता के विस्तार के साथ नशीले पदार्थों का असाधारण प्रचलन हुआ और औपनिवेशिक सत्ता के अस्त होने के बाद इसे देशी त्वरा मिली जिसने पहाड़ी सामाजिक, आर्थिक ढाँचे को ही विकृत और ध्वस्त कर दिया।
वन, खनन, बड़े बाँधों, विकृत पर्यटन की तरह नशा सिर्फ एक विषय नहीं, पहाड़ी जनजीवन को नष्ट करने का एक नियोजित षड्यंत्र है। नशे के विरुद्ध, आज़ादी से पूर्व और बाद में उठे प्रतिरोधों की पृष्ठभूमि का पहली बार इतनी गहनता और तत्परता से अध्ययन किया गया है ताकि आज की समस्या की जड़ों तक जाया जा सके। यह अध्ययन न सिर्फ अतीत के बारे में हमारी आँखें खोलता है बल्कि वह आज के नशा-परिदृश्य समझने की पृष्ठभूमि भी प्रस्तुत करता है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 1996
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 227p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 2
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Author: Girija Pande

गिरिजा पाण्डे

गिरिजा पाण्डे का जन्म 23 मार्च, 1963 को हुआ। चम्बा, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, नैनीताल में उनकी शिक्षा पूरी हुई।
भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद की फैलोशिप के अन्तर्गत शोधकार्य। कुमाऊँ विश्वविद्यालय के डी.एस.बी. परिसर में अध्यापन। अनेक लेख प्रकाशित।
हिमालयी समाज, संस्कृति इतिहास तथा पर्यावरण पर केन्द्रित सालाना ‘पहाड़’ के सहायक सम्पादक।

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