अन्तरराष्ट्रीय ख्याति के फिल्मकार तथा बांग्ला के श्रेष्ठ कथाकार सत्यजित राय के लोकप्रिय कथा-पात्र फेलूदा की जासूसी की बेहद रोमांचक कथा है—अटैची-रहस्य।
राजधानी एक्सप्रेस में सफर के दौरान एक व्यक्ति की अटैची चोरी हो जाती है, जिसमें एक बहुत पुरानी और कीमती पाण्डुलिपि थी। जाहिर है, उसे ढूँढ़ने के लिए फेलूदा को नियुक्त किया गया। मगर घटना की जाँच करते हुए पाण्डुलिपि से भी कीमती एक चीज मिल गयी। अटैची गायब करने वालों को तो इसका पता था पर उसके मालिक को नहीं। आखिर क्या थी वह चीज, जिसके कारण इस तरह एक मामूली-सी घटना अचानक रहस्यमय हो उठी!
राय की प्रस्तुत कृति में रहस्य-सन्धान के प्रति कुतूहल शुरू से अन्त तक बना रहता है, जो उनके कथा-लेखन की चिर-परिचित विशेषता है।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Translator | Mukti Goswami |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2006 |
Edition Year | 2023, Ed. 2nd |
Pages | 112p |
Publisher | Radhakrishna Prakashan - Remadhav |
Dimensions | 20.5 X 13.5 X 1.5 |