Apna Sa Koi Naam

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Apna Sa Koi Naam

साम्प्रदायिक सद्भाव, अध्यात्म, प्रकृति, धर्म, दर्शन के विभिन्न रूपों-रंगों को बिखेरती ये कविताएँ एक इन्द्रधनुष बनाती हैं।

सामान्य-सी दिखनेवाली ये कविताएँ गहन, गूढ़ अर्थ रखती हैं और पाठक को संवेदना, चिन्तन का दोहरा आस्वाद देती हैं।

कवि विनोद कुमार चौधरी ने इन कविताओं को लोकभाषा का सौन्दर्य प्रदान कर उस गौरवशाली परम्परा और काव्य-शैली को प्रतिष्ठापित किया है। जिसमें हर शब्द के बहुआयामी अर्थ होते हैं और जो लोगों के साथ वस्तुओं और वनस्पतियों को भी गरिमा, गौरव और सम्मान प्रदान करती है।

कवि नदी की ‘आत्मा’ के प्रति समर्पण भावना प्रदर्शित करते हुए प्रार्थना कर उसका अभिवादन करता है। उसकी श्रेष्ठता हमारे मानस में जगाता है और जन्म-भूमि की स्मृतियों को आभा-दीप्त करते हुए बताता है कि स्मृतियाँ हमारी धरोहर हैं, जो मन-आत्मा को सन्तोष प्रदान कर जीवन को प्रवहमान बनाती हैं।

अतीत और वर्तमान के बीच गहन रिश्ता बनाती ये कविताएँ हर वर्ग, हर आयु के पाठकों का ध्यान आकर्षित करने में सक्षम हैं।

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Language Hindi
Format Hard Back
Edition Year 2011
Pages 144p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21 X 14 X 1
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Vinod Kumar Chaudhary

Author: Vinod Kumar Chaudhary

विनोद कुमार चौधरी

 

जन्म : 1956; मुज़फ़्फ़रपुर (बिहार)।

शिक्षा : बी.एससी. (प्रतिष्ठा) प्राणि विज्ञान, एम.बी.बी.एस., डी.सी.डब्ल्यू.ई., डी.वाई.एस.।

प्रकाशित कृतियाँ : ‘रेत में मन्दिर’, ‘अपना सा कोई नाम’ आदि (काव्य-संग्रह) वर्ष 2000 में।

सम्‍प्रति : भारतीय पुलिस सेवा अन्तर्गत बिहार में सेवारत।

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