Anya Kahaniyan Tatha Jhooth

Author: Kunal Singh
Edition: 2024, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
As low as ₹224.25 Regular Price ₹299.00
25% Off
In stock
SKU
Anya Kahaniyan Tatha Jhooth
- +
Share:

हिन्दी कहानी नई कलम के हाथों कितनी प्रशस्त हुई है, यह कुणाल सिंह की इन कहानियों से ज़ाहिर है। जीवन और रिश्तों की सघनता, तन्मयता और तिलिस्म इन कहानियों का प्राण-बिन्दु हैं। मौलिकता का जीवन्त दस्तावेज़ हैं ये कहानियाँ।

—ममता कालिया

जहाँ दोपहर के डूबने और साँस के टकराने की आवाज़ सुनी जा सकती है, जहाँ बिना कविता हुए एक ऐसा गद्य, जो क़िस्सा बन जाता है, जिसके हर विन्यास में कविता ज़िन्दगी के असंख्य ब्यौरे लिखती है। ऐसे पात्र, जो किसी और का नहीं, अपने ही जीवन का प्रतिनिधित्व करते हैं और इन कहानियों के पाठक के सामने बैठ कर, उसे अपना जीवन पढ़ते हुए देखते हैं। एक ऐसा अनोखा प्रति-संसार जो अपनी गिरफ़्त में लेकर वास्तविक संसार की ग़लतियों को 'करेक्ट' करता है। ऐसी कहानियाँ जिनसे कतराकर पिछले ढाई दशक की कहानियों की कोई प्रामाणिक सूची मुकम्मल हो ही नहीं सकती। समय और यथार्थ तथा स्मृति और स्वप्न की सभी दूरियों को अनगिनत दुर्लभ युक्तियों से विसर्जित करती हुईं कुणाल सिंह की कहानियाँ भौतिक अवबोध (Physiological Perception) को हिन्दी कथा की कालरेखा में अद्वितीय और मौलिक विरलता के साथ तार्किक अवबोध (Logical Perception) में शायद पहली बार इस तरह तब्दील करती हैं। इसीलिए कुणाल सिंह की कहानियाँ हिन्दी कहानियों की किसी भी पीढ़ी के पाठक और कथाकार के लिए अनिवार्य कहानियाँ हैं। इन्हें न पढ़ना कहीं न कहीं से वंचित रह जाना है।

—उदय प्रकाश

कुणाल सिंह के पास आख्यान कला का जादू है, ऐसा जादू जो मायाजाल को काटकर हमें सत्य और सौन्दर्य के उजाले में ले जाता है।

—अखिलेश 

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 216p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Anya Kahaniyan Tatha Jhooth
Your Rating
Kunal Singh

Author: Kunal Singh

कुणाल सिंह

बहुचर्चित युवा कथाकार और सम्पादक कुणाल सिंह का जन्म 22 फरवरी, 1980 को कोलकाता के समीपवर्ती एक गाँव में हुआ।  उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज, कोलकाता से हिन्दी साहित्य में एम.ए. और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से एम.फिल. किया। उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं—‘सनातन बाबू का दाम्पत्य’, ‘इतवार नहीं’, ‘अन्य कहानियाँ तथा झूठ’ (कहानी-संग्रह); ‘आदिग्राम उपाख्यान’, ‘उत्तरजीवी’ (उपन्यास); ‘रोमियो जूलियट और अँधेरा’, (लघु उपन्यास)। सभी महत्त्वपूर्ण भारतीय भाषाओं के साथ-साथ इतालवी और जर्मन भाषाओं में भी उनकी कहानियों के अनुवाद हुए हैं। ‘आखेटक’ कहानी पर िफ़ल्म निर्मित और ‘साइकिल’ कहानी के कई नाट्य-मंचन हो चुके हैं।

उन्हें ‘साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार’ (2012), ‘भारतीय भाषा परिषद युवा पुरस्कार’ (2011), ‘भारतीय ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार’ (2010 और 2006), ‘कथा अवार्ड’ (2005), ‘कृष्ण बलदेव वैद फेलोशिप’ (2005), ‘प. बंग राज्य युवा पुरस्कार’ (1999) और ‘नागार्जुन सम्मान’ (1999) से सम्मानित किया गया है।

सम्प्रति : ‘वनमाली कथा’ मासिक का सम्पादन।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top