Anchalik Samwaddata-Paper Back

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ISBN:AS35
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Anchalik Samwaddata-Paper Back

लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण के बावजूद संचार के विकेन्द्रीकरण का मुद्‌दा अभी विमर्श का विषय नहीं बन सका है। इसके बिना लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण की सफलता भी आंशिक ही रहेगी। जब ज्ञान और सूचना को शक्ति माना जाता है तो भला केन्द्रीकृत सूचना-व्यवस्था से विकेन्द्रीकृत शासन-व्यवस्था की आशा कैसे की जा सकती है! जनता के क़रीब के शासकीय पायदानों अर्थात् पंचायतों, नगर पंचायतों, नगर निकायों और गाँवों तथा क़स्बों के समाचारों की महत्ता अख़बारों में बढ़े, तो ही विकेन्द्रित सत्ता का सही आभास हो पाएगा। राजधानी और बड़े शहरों की चमक-दमक-भरे समाचारों को उनका सही स्थान दिखा देने की ज़रूरत है। यह तभी सम्भव है जब कुशल आंचलिक संवाददाता ग्रामीण समाज और नवीन विकेन्द्रीकृत व्यवस्था पर केन्द्रित अच्छे समाचारों को प्रकाशन के लिए भेज सकें जिनमें लोगों के दिल की धड़कन सुनाई पड़े। इसके सामने राज्य और केन्द्र की सत्ता तथा शहर की चमकीली छवि भी फीकी पड़ जाएगी। इस परिप्रेक्ष्य में आंचलिक संवाददाता की मदद के लिए तैयार की गई यह पुस्तक बहुत प्रासंगिक है। निश्चय ही यह पुस्तक कुशल आंचलिक संवाददाता तैयार करने और उनके निरन्तर विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकेगी।

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Edition Year 2003
Pages 94p
Price ₹60.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Suresh Pandit

Author: Suresh Pandit

सुरेश पंडित

अलवर निवासी सुरेश पंडित मूलतः शिक्षाविद् और समाजकर्मी हैं। पिछले तीन दशकों से ‘प्रतिबद्ध पत्रकारिता’ में सक्रिय हैं। हिन्दी की लगभग तमाम पत्र-पत्रिकाओं (‘जनसत्ता’, ‘राजस्थान पत्रिका’, ‘नवज्योति’, ‘पहल’, ‘कल के लिए’, ‘हंस’, ‘समयांतर’ आदि) में शिक्षा, पर्यावरण, आंचलिक विकास, विकेन्द्रीकरण, जनसशक्तिकरण जैसे विषयों पर निरन्तर लिखते रहे हैं। सुरेश पंडित का लेखन जहाँ सैद्धान्तिक व वैचारिक है, वहीं वह ज़मीनी यथार्थ से भी जुड़ा हुआ है।

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