Amar Desva

Author: Pravin Kumar
Edition: 2023, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Amar Desva
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कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीतते-न-बीतते उस पर केन्द्रित एक संवेदनशील, संयत और सार्थक औपन्यासिक कृति का रचा जाना एक आश्चर्य ही कहा जाएगा। कहानियों-कविताओं की बात अलग है, पर क्या उपन्यास जैसी विधा के लिए इतनी अल्प पक्वनावधि/जेस्टेशन पीरियड काफ़ी है? और क्या इतनी जल्द पककर तैयार होनेवाले उपन्यास से उस गहराई की उम्मीद की जा सकती है जो ऐसी मानवीय त्रासदियों को समेटनेवाले उपन्यासों में मिलती है? इनका उत्तर पाने के लिए आपको अमर देसवा पढ़नी चाहिए जिसने अपने को न सिर्फ़ सूचनापरक, पत्रकारीय और कथा-कम-रिपोर्ट-ज़्यादा होने से बचाया है, बल्कि दूसरी लहर को केन्द्र में रखते हुए अनेक ऐसे प्रश्नों की गहरी छान-बीन की है जो नागरिकता, राज्यतंत्र, भ्रष्ट शासन-प्रशासन, राजनीतिक निहितार्थों वाली क्रूर धार्मिकता और विकराल संकटों के बीच बदलते मनुष्य के रूपों से ताल्लुक़ रखते हैं। इस छान-बीन के लिए प्रवीण संवादों और वाचकीय कथनों का सहारा लेने से भरसक परहेज करते हैं और पात्रों तथा परिस्थितियों के घात-प्रतिघात पर ज़्यादा भरोसा करते हैं। इसीलिए उनका आख्यान अगर मानवता के विरुद्ध अपराध घोषित किए जाने लायक़ सरकारी संवेदनहीनता और मौत के कारोबार में अपना लाभ देखते बाजार-तंत्र के प्रति हमें क्षुब्ध करता है, तो निरुपाय होकर भी जीवन के पक्ष में अपनी लड़ाई जारी रखनेवाले और शिकार होकर भी अपनी मनुष्यता न खोनेवाले लोगों के प्रति गहरे अपनत्व से भर देता है। संयत और परिपक्व कथाभाषा में लिखा गया अमर देसवा अपने जापानी पात्र ताकियो हाशिगावा के शब्दों में यह कहता जान पड़ता है, ‘कुस अस्ली हे... तबी कुस नकली हे। अस्ली क्या हे... खोज्ना हे।’ असली की खोज कितनी करुण है और करुणा की खोज कितनी असली, इसे देखना हो तो यह उपन्यास आपके काम का है।

–संजीव कुमार

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 232p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 20 X 13 X 2
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Pravin Kumar

Author: Pravin Kumar

प्रवीण कुमार

1982 में बिहार के भोजपुर जिले में जन्म।

शिक्षा हिन्दू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से पाई।

कहानी लेखन में नई कथा-भाषा और नई प्रविधियों के प्रयोग के लिए चर्चित।

दो कहानी संग्रह प्रकाशित—‘छबीला रंगबाज़ का शहर’ और ‘वास्को डी गामा’ की साइकिल।

‘अमर देसवा’ पहला उपन्यास।

पहले कहानी-संग्रह के लिए ‘डॉ विजयमोहन सिंह स्मृति युवा कथा पुरस्कार’ (2018) और अमर उजाला समूह का प्रथम ‘शब्द सम्मान : थाप’ (2018) से सम्मानित।

वर्तमान में दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर।

सम्पर्क : pravinkumar94@yahoo.com

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