Alice Ekka Ki Kahaniyan

Author: Vandana Tete
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Alice Ekka Ki Kahaniyan
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एलिस एक्का की कहानियों का ऐतिहासिक महत्त्व हैं—न केवल हिन्दी साहित्य के इतिहास की दृष्टि से बल्कि समसामयिक अस्मितामूलक विमर्शों की दृष्टि से भी। वे देश की और हिन्दी भाषा की पहली आदिवासी कहानीकार हैं।
हिन्दी साहित्य के इतिहास में किसी आदिवासी स्त्री रचनाकार का उल्लेख अनुपस्थित है। निश्चय ही इसकी वजह साहित्येतिहासकारों और अध्येताओं की अपनी सीमा रही है। लेकिन एलिस एक्का की कहानियों के रूप में हिन्दी साहित्य के इतिहास का एक ओझल पृष्ठ अब हमें सुलभ हो गया है। जो विचार-विमर्श की नई जमीन मुहैया कराता है।
एलिस की कहानियों में आदिवासी जीवनदर्शन सुस्पष्ट तरीके से अभिव्यक्त हुआ है। साहित्य-जगत में प्रचलित शिल्प-सौष्ठव के बजाय इन कहानियों में आदिवासी जन जीवन को उसकी सामान्य नैसर्गिकता में प्रस्तुत करने को ही प्रमुखता दी गई है।
यह स्वाभाविकता ही इनकी जान है जिसमें आदिवासी परम्परा, संस्कृति, इतिहास ही नहीं समूची समष्टि समाहित है। इन कहानियों के केन्द्र में प्रकृति और स्त्रियाँ हैं। अपने नैसर्गिक परिवेश और पुरखों द्वारा अर्जित संस्कृति में रची-बसी, श्रमशील, संघर्षशील और ‘देश निर्माण’ में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार। निश्चय ही यह कहानियाँ पाठक को एक नए अनुभव-संसार तक ले जाएँगी।

 

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2015
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 104p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 20 X 14 X 2
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Vandana Tete

Author: Vandana Tete

वंदना टेटे

जन्म : 13 सितम्बर, 1969 सामाजिक कार्य (महिला एवं बाल विकास) में राजस्थान विद्यापीठ से स्नातकोत्तर। हिन्दी एवं खड़िया में लेख, कविताएँ, कहानियाँ स्थानीय एवं राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित तथा आकाशवाणी, राँची एवं उदयपुर से लोकगीत, वार्ता व साहित्यिक रचनाएँ प्रसारित। सामाजिक विमर्श की पत्रिका 'समकालीन ताना-बाना', बाल-पत्रिका 'पतंग' (उदयपुर से प्रकाशित) का सम्पादन-प्रकाशन एवं झारखंड आन्दोलन की राजनीतिक पत्रिका 'झारखंड खबर' (राँची) का उप-सम्पादन। झारखंड की पहली बहुभाषायी पत्रिका 'झारखंडी भाषा, साहित्य, संस्कृति : अखड़ा' (2004 से), खड़िया मासिक पत्रिका 'सोरिनानिङ' (2005 से) तथा नागपुरी मासिक पत्रिका 'जोहार सहिया' (2006 से) का सम्पादन-प्रकाशन। प्रकाशित पुस्तकें : ‘कवि मन जनी मन’, ‘पुरखा लड़ाके’, ‘किसका राज है’, ‘झारखंड : एक अन्तहीन समरगाथा’, ‘पुरखा झारखंडी साहित्यकार और नये साक्षात्कार’, ‘असुर सिरिंग’, ‘आदिवासी साहित्य : परम्परा और प्रयोजन’, ‘आदिम राग’, ‘कोनजोगा’, ‘एलिस एक्का की कहानियाँ’, ‘आदिवासी दर्शन और साहित्य’ आदि। समाज के शोषित एवं वंचित समुदाय, विशेषकर आदिवासी, महिला, शिक्षा, साक्षारता, स्वास्थ्य और बच्चों के मुद्दों पर पिछले 30 वर्षों से लगातार सक्रिय। महिला सवालों एवं सामाजिक, शैक्षणिक व स्वास्थ्य विषयों पर नुक्कड़ नाटकों में अभिनय तथा कई नाट्य- कार्यशालाओं का निर्देशन-संचालन। वर्तमान में झारखंड की आदिवासी एवं देशज भाषा-साहित्य व संस्कृति के संरक्षण, संवर्द्धन और विकास के लिए ‘प्यारा केरकेट्टा फ़ाउंडेशन’, राँची के साथ सृजनरत। 

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