Alice Ekka Ki Kahaniyan

Fiction : Stories,Feminism
Author: Vandana Tete
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Alice Ekka Ki Kahaniyan

आदिवासी स्त्री लेखकों की रचनाएँ न सिर्फ़ भारतीय समाज के अदेखे बहुभाषायी और बहुसांस्कृतिक संसार को दर्ज करती हैं, बल्कि पूर्वग्रहों और ग़ैर-बराबरी से मुक्त एक स्वस्थ लोकतांत्रिक समाज की पुनर्रचना के लिए उत्प्रेरित भी करती हैं। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आदिवासी स्त्री-लेखन न तो नारीवाद के प्रभाव से उपजा है और न ही दलितवाद की तरह किसी एक ख़ास सामाजिक वर्ग से मुक्ति चाहता है। आदिवासियों का सच एक अलग सांस्कृतिक विश्व है जहाँ आदिवासी स्त्रियाँ अपनी विशिष्ट स्त्रीगत समस्याओं पर बात करते हुए भी ग़ैर-आदिवासी स्त्री-लेखन की तरह 'देह' की मुक्ति या 'पुरुष-सत्ता' के सवालों को नहीं उठातीं, बल्कि अपनी सामूहिक आदिवासी चेतना के कारण वे सीधे-सीधे उस विश्व से टकराती हैं जो श्रम और सृष्टि की अवमानना करता है। जो इंसानी समाज का नस्लों, धर्मों, जातियों के आधार पर—रंग, भाषा और लिंग के आधार पर—भेदभाव करता है, उसका संकुचन व संक्षेपण करता है; जैसाकि रोज केरकेट्टा सहजता से इस सच्चाई को उद्घाटित करती हैं : 'स्कूल के दिनों में ही साहित्य के विषय में हमें संक्षेपण करना सिखाया जाता है। स्त्रियों के बारे में समाज भी हमें ऐसा ही नज़रिया देता है। हमारा समाज, इतिहास और साहित्य जीवन के हर क्षेत्र में स्त्रियों का संक्षेपण करता है—विशेषकर, हम आदिवासी स्त्रियों का। हमारा लेखन ऐसे संक्षेपण के ख़‍िलाफ़ है।'

 

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2015
Pages 104p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 20 X 14 X 2
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Editorial Review

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Vandana Tete

Author: Vandana Tete

वंदना टेटे

जन्म : 13 सितम्बर, 1969 सामाजिक कार्य (महिला एवं बाल विकास) में राजस्थान विद्यापीठ से स्नातकोत्तर। हिन्दी एवं खड़िया में लेख, कविताएँ, कहानियाँ स्थानीय एवं राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित तथा आकाशवाणी, राँची एवं उदयपुर से लोकगीत, वार्ता व साहित्यिक रचनाएँ प्रसारित। सामाजिक विमर्श की पत्रिका 'समकालीन ताना-बाना', बाल-पत्रिका 'पतंग' (उदयपुर से प्रकाशित) का सम्पादन-प्रकाशन एवं झारखंड आन्दोलन की राजनीतिक पत्रिका 'झारखंड खबर' (राँची) का उप-सम्पादन। झारखंड की पहली बहुभाषायी पत्रिका 'झारखंडी भाषा, साहित्य, संस्कृति : अखड़ा' (2004 से), खड़िया मासिक पत्रिका 'सोरिनानिङ' (2005 से) तथा नागपुरी मासिक पत्रिका 'जोहार सहिया' (2006 से) का सम्पादन-प्रकाशन। प्रकाशित पुस्तकें : ‘कवि मन जनी मन’, ‘पुरखा लड़ाके’, ‘किसका राज है’, ‘झारखंड : एक अन्तहीन समरगाथा’, ‘पुरखा झारखंडी साहित्यकार और नये साक्षात्कार’, ‘असुर सिरिंग’, ‘आदिवासी साहित्य : परम्परा और प्रयोजन’, ‘आदिम राग’, ‘कोनजोगा’, ‘एलिस एक्का की कहानियाँ’, ‘आदिवासी दर्शन और साहित्य’ आदि। समाज के शोषित एवं वंचित समुदाय, विशेषकर आदिवासी, महिला, शिक्षा, साक्षारता, स्वास्थ्य और बच्चों के मुद्दों पर पिछले 30 वर्षों से लगातार सक्रिय। महिला सवालों एवं सामाजिक, शैक्षणिक व स्वास्थ्य विषयों पर नुक्कड़ नाटकों में अभिनय तथा कई नाट्य- कार्यशालाओं का निर्देशन-संचालन। वर्तमान में झारखंड की आदिवासी एवं देशज भाषा-साहित्य व संस्कृति के संरक्षण, संवर्द्धन और विकास के लिए ‘प्यारा केरकेट्टा फ़ाउंडेशन’, राँची के साथ सृजनरत। 

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