आचार्य शुक्ल का व्यक्तित्व बहुआयामी है। उनके व्यक्तित्व में स्वाभिमान, दृढ़ता, आत्मविश्वास, संवेदनशीलता, करुणार्द्रता, गम्भीरता, मर्यादाप्रियता आदि गुणों के साथ प्रत्युत्पन्नमतित्व और रंजन की प्रवृत्तियाँ भी लक्षित होती हैं। उनके व्यक्तित्व के अनेक आयामों का विकास उनके जीवन-संघर्ष से जुड़ा है। उन्हें एक खास तरह से सोचने-समझने, निर्णय लेने और अपने व्यक्तित्व को विकसित करने की दिशा में उनके परिवेश ने भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। उनकी रचनाओं में उनके व्यक्तित्व की छाप है। कहा जा सकता है कि आचार्य शुक्ल का जीवन-संघर्ष, व्यक्तित्व और रचना दृष्टि एक-दूसरे से बहुत गहरे स्तर पर जुड़े हैं। इसलिए इन्हें अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2023 |
Edition Year | 2023, Ed. 1st |
Pages | 212p |
Publisher | Lokbharti Prakashan |
Dimensions | 22 X 14.5 X 1 |