गीत कहाँ है अब यहाँ/गीत जैसा कुछ है’—गीतकार स्वानंद किरकिरे इस संग्रह की एक कविता की शुरुआत इन पंक्तियों से करते हैं। वे इधर की फ़िल्मों के चहेते गीतकारों में से एक हैं, जिसकी वजह शायद यह ईमानदारी ही है? इन कविताओं की उपलब्धि भी और औज़ार भी यही ईमानदारी है। कवि के रूप में उन्होंने कहीं अपने व्यक्ति से बेईमानी नहीं की, न ख़ुद से यह कहा कि वे शायर हैं, न यह कि गीतकार हैं, न यह कि कवि हैं। वे तेज़गाम दुनिया के बीचोंबीच बैठे, अपने-आप के परदे से दुनिया को देख रहे हैं और वह जितना उन्हें समझ आ रही है, उसे लिख रहे हैं। कविताओं की इस पुस्तक को पढ़ना एक अनुभव है...। और उम्मीद है, हिन्दी का नया पाठक इसे अपनी अनुभव-सम्पदा में मोती की तरह जड़कर रखेगा।

 

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2017
Edition Year 2018, Ed. 2nd
Pages 127p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
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Swanand Kirkire

Author: Swanand Kirkire

स्वानंद किरकिरे

 

स्वानंद किरकिरे सर्वश्रेष्ठ गीत-लेखन के लिए दो बार ‘राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार’ से सम्मानित हो चुके हैं। यह उनका एक परिचय है। इससे अलग वे एक कवि होने के साथ-साथ गायक, अभिनेता, संवाद लेखक, संगीत निर्देशक और सह-निर्देशक भी हैं। ‘राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय’ में गीत-लिखाई के दौर में ही कविता लिखना भी शुरू हुआ। इब्ने इंशा, गुलज़ार और पीयूष मिश्रा के लेखन से ख़ुद को प्रभावित माननेवाले स्वानंद का यह पहला कविता-संग्रह है—‘आपकमाई’।

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