Aadhunik Hindi Kavya Aur Puran Katha

Author: Malti Singh
You Save 15%
ISBN:9788180311635
Out of stock
Only %1 left
SKU
Aadhunik Hindi Kavya Aur Puran Katha

प्राचीनता पुराणों का गुण है, लेकिन वे नव्या, नूतन और नवीन भी हैं। अमरकोशकार ने इनकी इस विशेषता की ओर संकेत किया है—प्रत्यग्रोऽभिनवो नव्यो नवीनो नूतनो नवः। इस दि्-आयामी विशेषता के कारण पुराणकथाएँ प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक साहित्य की उपजीव्य बनती रही हैं।

आधुनिक हिन्दी-काव्य में भारतेन्दु युग से लेकर अब तक पुराणकथाओं के प्रयोग की विस्तृत, विविध एवं अविछिन्न परम्परा प्राप्त होती है। विशेष बात यह है कि आधुनिक हिन्दी-काव्य में प्रयुक्त पुराणकथाएँ, पुराण निर्दिष्ट आशय से भिन्न, परिवर्तित होती हुई काव्य-चेतना के परिप्रेक्ष्य में नवीन भावों से अनुवेशित होकर नितान्‍त नवीन सन्दर्भों की सृष्टि करती हैं।

भारतीय जनता की स्वातंत्र्य-चेतना एवं जीवित जोश को अभिव्यक्ति के लिए पौराणिक कथा-प्रसंगों एवं पत्रों का उपयोग भारतेन्दुयुगीन एवं द्विवेदीयुगीन कवियों की विवशता बन गई थी। छायावादी सूक्ष्म भावानुभूती एवं विचारानुभूती की अभिव्यक्ति के लिए पौराणिक कथाएँ सशक्त माध्यम सिद्ध होती हैं। भौतिक यथार्थवाद को स्वीकृति प्रदान करनेवाले प्रगतिवादी कवियों ने भी पुराणिक प्रतीकों का प्रयोग ख़ूब किया है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2007
Pages 299p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Write Your Own Review
You're reviewing:Aadhunik Hindi Kavya Aur Puran Katha
Your Rating
Malti Singh

Author: Malti Singh

मालती सिंह
जन्म : 7 मई, 1942; मीरजापुर, उत्तर प्रदेश।
शिक्षा : एम.ए., डी.फिल. (प्रयाग विश्वविद्यालय)।
सम्प्रति : अध्यापन, प्रयाग विश्वविद्यालय।

Read More
Books by this Author
Back to Top