Yahan Hathi Rahte The

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Yahan Hathi Rahte The
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कुछ ज़्यादा ही तेज़ी से बदलते हमारे इस वक़्त को बारीकी से देखती प्रख्यात कथाकार गीतांजलि श्री की ग्यारह कहानियाँ हैं यहाँ। नई उम्मीदें जगाता और नए रास्ते खोलता वक़्त। हमारे अन्दर घुन की तरह घुस गया वक़्त भी। सदा सुख-दु:ख, आनन्द-अवसाद, आशा-हताशा के बीच भटकते मानव को थोड़ा ज़्यादा दयनीय, थोड़ा ज़्यादा हास्यास्पद बनाता
वक़्त।

विरोधी मनोभावों और विचारों को परत-दर-परत उघाड़ती हैं ये कहानियाँ। इनकी विशेषता—कलात्मक उपलब्धि है—भाषा और शिल्प का विषयवस्तु के मुताबिक़ ढलते जाना। माध्यम, रूप और कथावस्तु एकरस-एकरूप हैं यहाँ। मसलन, ‘इति’ में मौत के वक़्त की बदहवासी, ‘थकान’ में प्रेम के अवसान का अवसाद, ‘चकरघिन्नी’ में उन्माद की मनःस्थिति, या ‘मार्च माँ और साकुरा’ में निश्छल आनन्द के उत्सव के लिए इस्तेमाल की गई भाषा ही क्रमशः बदहवासी, अवसाद, उन्माद और उत्सव की भाषा हो जाती है।

पर अन्ततः ये दु:ख की कहानियाँ हैं। दु:ख बहुत, बार-बार और अनेक रूपों में आता है इनमें। ‘यहाँ हाथी रहते थे’ और ‘आजकल’ में साम्प्रदायिक हिंसा का दु:ख, ‘इतना आसमान’ में प्रकृति की तबाही और उससे बिछोह का दु:ख, ‘बुलडोज़र’ और ‘तितलियाँ’ में आसन्न असमय मौत का दु:ख, ‘थकान’ और ‘लौटती आहट’ में प्रेम के रिस जाने का दु:ख। एक और दु:ख, बड़ी शिद्दत से, आता है ‘चकरघिन्नी’ में। नारी स्वातंत्र्य और नारी सशक्तीकरण के हमारे जैसे वक़्त में भी आधुनिक नारी की निस्सहायता का दु:ख।

हमारी ज़िन्दगी की बदलती बहुरूपी असलियत तक बड़े आड़े-तिरछे रास्तों से पहुँचती हैं ये कहानियाँ। एक बिलकुल ही अलग, विशिष्ट और नवाचारी कथा-लेखन से रू-ब-रू कराते हुए हमें।

 

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2012
Edition Year 2022, Ed. 2nd
Pages 183p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Editorial Review

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Geetanjali Shree

Author: Geetanjali Shree

गीतांजलि श्री

अपने बहुचर्चित उपन्यास ‘रेत समाधि’ के लिए 2022 के ‘अन्तरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार’ से सम्मानित लेखक गीतांजलि श्री के पाँच उपन्यास–‘माई’, ‘हमारा शहर उस बरस’, ‘तिरोहित’, ‘खाली जगह’, ‘रेत-समाधि’; पाँच कहानी-संग्रह–‘अनुगूँज’, ‘वैराग्य’, ‘मार्च, माँ और साकुरा’, ‘यहाँ हाथी रहते थे’, ‘प्रतिनिधि कहानियाँ’  और एक शोध-ग्रन्थ ‘बिटवीन टू वर्ल्ड्स : ऐन इंटेलेक्चुअल बायोग्राफ़ी ऑफ़ प्रेमचन्द’ छप चुके हैं। इनकी रचनाओं के अनुवाद कई भारतीय और यूरोपीय भाषाओं में हुए हैं। साहित्येतर लेखन ये हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में करती हैं। थियेटर के लिए भी लिखती हैं। इन्हें ‘वनमाली राष्ट्रीय पुरस्कार’, ‘कृष्ण बलदेव वैद पुरस्कार’, ‘कथा यू.के. सम्मान’, ‘हिन्दी अकादमी साहित्यकार सम्मान’ और ‘द्विजदेव सम्मान’ से सम्मानित किया जा चुका है। ये रेज़िडेंसी और फ़ेलोशिप के लिए स्कॉटलैंड, स्विट्ज़रलैंड, जर्मनी, आइसलैंड, फ्रांस, कोरिया, जापान इत्यादि देशों में गई हैं। इनके उपन्यास ‘रेत समाधि’ को 2021 के Emile Guimet Prize की शॉर्ट लिस्ट में भी शामिल किया गया था।

सम्पर्क : geeshree@gmail.com

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