Vande Mataram

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Vande Mataram
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राष्ट्रगान ‘वंदे मातरम्’ आरम्भ से ही विवाद के केन्द्र में है। इसकी रचना, लोकप्रियता और विवाद तीनों का इतिहास एक ही है। इतिहासकार और समाजशास्त्री सब्यसाची भट्टाचार्य ने ‘वंदे मातरम्’ पुस्तक में इसी इतिहास-कथा को सिलसिलेवार और सप्रमाण बतलाने का सार्थक यत्न किया है।

बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय ने सन् 1870 के दशक के शुरुआती वर्षों में इसे वंदना-गीत के रूप में रचा। 1881 में इसे उपन्यास ‘आनन्दमठ’ में शामिल किया गया। कथा-सन्दर्भ के भीतर इस गीत ने विस्तृत रूपाकार में हिन्दू-युद्धघोष का रूप धारण कर लिया। सन् 1905 में बंगाल के आन्दोलन ने इस गीत को राजनीतिक नारे में तब्दील कर दिया। कहा जाता है कि जवाहरलाल नेहरू ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में इसे पहली बार गाया। 1920 तक विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनूदित होकर यह राष्ट्रीय हैसियत पा चुका था। 1930 में गीत के बिम्ब-विधान, व्यंजना और बुतपरस्ती को लेकर व्यापक विरोध हुआ। सन् 1937 में गीत के उन अंशों को छाँट दिया गया, जिनको लेकर आपत्तियाँ थीं तथा शेषांश को राष्ट्रगान के रूप में अपना लिया गया।

विभिन्न समय और सन्दर्भों में गीत के ‘पाठ’ और ‘पाठक’ के बीच जारी संवाद में निरन्तरता और परिवर्तन को जानना इस पुस्तक का सबसे दिलचस्प पहलू है। लेखक इसमें संवाद की ऐतिहासिकता को रेखांकित करता है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2008
Edition Year 2023, Ed. 4th
Pages 136p
Translator Chandan Shrivastava
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1
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Author: Savyasachi Bhattacharya

सब्यसाची भट्टाचार्य

जन्म : 21 अगस्त, सन् 1938 को कोलकाता में हुआ।

शिक्षा : एम.ए., डी.फिल्.।

जादवपुर विश्वविद्यालय में (1960-61); इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, कोलकाता (1965-68) तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली (1971-75) में सहायक प्राध्यापक। शिकागो विश्वविद्यालय (1968-69); ऑक्सफ़ोर्ड (1969-71) तथा मैक्सिको (1977-78) में प्राध्यापन और शोध-कार्य।

भारतीय इतिहास कांग्रेस के आधुनिक इतिहास विभाग के सभापति (1982)।

प्रकाशित कृतियाँ : भारत में 1857 की क्रान्ति के बाद के दो दशकों में ब्रिटिश राज की वित्तीय नीतियों पर केन्द्रित शोध-प्रबन्ध फ़ाइनेंशियल फ़ाउंडेशंस ऑफ़ ‘ब्रिटिश राज’ अंग्रेज़ी (1971), बंगाली (1978) और हिन्दी (1981) में प्रकाशित। सम्पादित पुस्तकें : ‘इकोनॉमिक हिस्ट्री’ (मुंशीराम मनोहर लाल, 1987) तथा ‘सिचुएटिंग इंडियन हिस्ट्री’ (सहयोग प्रो. रोमिला थापर)।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में आर्थिक इतिहास के प्राध्यापक तथा स्कूल ऑफ़ सोशल साइंसेज के डीन।

भारत सरकार के इंडियन हिस्टॉरिकल रेकाड् र्स कमीशन के सदस्य भी रहे।

सम्मान : ‘रवीन्द्रनाथ पुरस्कार’, ‘जाधवपुर डॉक्टर ऑफ़ लेटर’ से सम्मानित।

निधन : 8 जनवरी, 2019

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