Uttradhikar Banam Putradhikar

Author: Arvind jain
Edition: 2015, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Uttradhikar Banam Putradhikar
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“यह पुस्तक पितृसत्ता की लगभग सभी वैधानिक और संवैधानिक अभिव्यक्तियों पर लिपटे आवरणों को तार-तार करती जाती है। विधि सम्बन्धी स्त्री-विमर्श दीर्घकालीन संघर्ष में महत्त्वपूर्ण औज़ार की तरह इस्तेमाल हो सकता है।”

—(‘हंस’; जून, 2000)

“ ‘उत्तराधिकार बनाम पुत्राधिकार’ पढ़कर स्वयं को एक लोकतांत्रिक राष्ट्र की आधुनिक नारी समझने का नशा हिरण हो जाता है। विश्वसुन्दरी, अधिकारी, प्रबन्धक, वर्किंग वूमेन या घर की लक्ष्मी, जो भी हो, तुम होश में आओ...इस किताब को पढ़ो; आधुनिक, आज़ादी और बराबरी के सारे दावों की हवा निकल जाएगी। यह किताब ख़ौफ़नाक तथ्यों की तह तक उजागर करती है।”

—(‘नई दुनिया’, इन्दौर; 8 जुलाई, 2000)

“इस पूरी पुस्तक को पढ़ने पर अरविन्द की यह बात सही मालूम होती है कि बीसवीं सदी के आरम्भ से लेकर अब तक अदालत, क़ानून और न्याय की भाषा-परिभाषा मूलत: स्त्री के प्रति अविश्वास, घृणा और अपमान से उपजी भाषा है।”

—(‘साक्षात्कार’, अगस्त, 2000)

“इस पुस्तक ने औरत की पक्षधर लोकतंत्र की चार सत्ताओं को बेनक़ाब कर दिया। इसने इस तथ्य को पुन: स्थापित किया कि पुरुष नि:स्वार्थ भाव से, पुरुष दमन से मुक़ाबले के लिए, औरत का रक्षाकवच और उसके दमन के विरुद्ध लावा बन सकता है।

—(‘दैनिक नवज्योति’, जयपुर; 16 सितम्बर, 2000)

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2015
Edition Year 2015, Ed. 1st
Pages 160p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Arvind jain

Author: Arvind jain

अरविन्द जैन

महिला, बाल एवं कॉपीराइट क़ानून के विशेषज्ञ और चर्चित लेखक-कथाकार।

जन्म : 7 दिसम्बर, 1953, उकलाना मंडी, हिसार (हरियाणा)। शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा जनता हाईस्कूल, उकलाना; एस.डी. हायर सेकेंडरी स्कूल, हाँसी, जैन हाईस्कूल और वैश्य कॉलेज, रोहतक (हरियाणा) में। पंजाब विश्वविद्यालय से वाणिज्य स्नातक (1974) और दिल्ली विश्वविद्यालय से विधि स्नातक (1977)।

पंजाब विश्वविद्यालय (1973) में ‘सर्वश्रेष्ठ वक्ता पुरस्कार’ से सम्मानित।

बाल-अपराध न्याय अधिनियम के लिए भारत सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति के सदस्य।

प्रकाशित पुस्तकें : औरत होने की सज़ा, उत्तराधिकार बनाम पुत्राधिकार, न्यायक्षेत्रे अन्यायक्षेत्रे, यौन हिंसा और न्याय की भाषा तथा औरत : अस्तित्व और अस्मिता शीर्षक से महिलाओं की क़ानूनी स्थिति पर विचारपरक पुस्तकें। लापता लड़की कहानी-संग्रह।

विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में शोध-लेख, कहानियाँ, समीक्षाएँ, कविताएँ और क़ानून सम्बन्धी स्तम्भ-लेखन।

सम्मान : हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा वर्ष 1999-2000 के लिए ‘साहित्यकार सम्मान’; कथेतर साहित्य के लिए वर्ष 2001 का ‘शमशेर सम्मान’।

सम्पर्क : सेक्टर 5, प्लॉट नं. 835, वैशाली, ग़ाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश-201010

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