Upari Gangaghati Dwitiya Nagarikaran

Author: Sanju Mishra
Edition: 2017, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Upari Gangaghati Dwitiya Nagarikaran
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ऊपरी गंगा के मैदान में नगरीकरण से सम्बन्धित ज्ञान के मुख्य आधार साहित्यिक साक्ष्यों के साथ-साथ पुरातात्त्विक अन्वेषण एवं उत्खनन है। भारत में नगरों के आविर्भाव की प्राचीनता ताम्राश्म काल में हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो नामक स्थानों पर बने हुए नगरों के सन्निवेश तथा उनके सामाजिक एवं आर्थिक जीवन के दृष्टान्तों से सिद्ध हो जाती है, किन्तु द्वितीय सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व के मध्य में सैन्धव सभ्यता के विनाश के साथ ही सम्पूर्ण भारत पुनः ग्राम्य संस्कृति में लौट आया तथा एक हजार वर्षों के लम्बे अन्‍तराल के पश्चात् छठी शताब्दी ईसा पूर्व में, गंगा के मैदान में षोडश महाजनपदों का उद्भव राजनीतिक इकाइयों के रूप में उत्तर भारत में हुआ। छठी शताब्दी ईसा पूर्व का काल उत्तर भारत में अनेकानेक नवीन परिवर्तनों का काल था तथा ये परिवर्तन जीवन के लगभग प्रत्येक क्षेत्र में दिखाई देते हैं। इसे द्वितीय नगरीकरण की संज्ञा दी गई है। पुरातात्त्विक भाषा में इसे उत्तरी कृष्ण मार्जित पत्र-परम्‍परा संस्कृति के प्रारम्‍भ का काल माना जा सकता है। इस शोध-प्रबन्‍ध के माध्‍यम से ऊपरी गंगा के मैदान के पुरातात्त्विक अनुक्रम का तथा द्वितीय नगरीकरण से सम्बन्धित नगरीय साक्ष्यों का क्रमबद्ध एवं सुव्यवस्थित ऐतिहासिक एवं पुरातात्त्विक अध्धयन प्रस्तुत करने का यथासम्‍भव प्रयास किया गया है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2017
Edition Year 2017, Ed. 1st
Pages 164P
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 24 X 15.5 X 2
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Sanju Mishra

Author: Sanju Mishra

संजू मिश्रा

डॉ. संजू मिश्रा का जन्‍म इलाहाबाद में हुआ। प्रारम्भिक और उच्‍च शिक्षा क्रमश: बरेली तथा लखनऊ के विद्यालयों एवं विश्‍वविद्यालयों में सम्‍पन्‍न हुई। ‘कला एवं पुरातत्‍त्‍व’ के अध्‍ययन में अभिरुचि के कारण इन्‍हें ‘ऊपरी गंगा घाटी का पुरातात्त्विक अनुक्रम : द्वितीय नगरीकरण के विशेष सन्‍दर्भ में’ विषय पर वर्ष 2014 में इलाहाबाद केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय द्वारा डॉक्‍टरेट की उपाधि प्राप्‍त हुई। डॉ. संजू अगस्‍त, 2015 में ही राष्‍ट्रीय स्‍तर की संस्‍था इलाहाबाद संग्रहालय में प्रदर्श व्‍याख्‍याता के पद पर नियुक्‍त हुईं।

इनके कई आलेख एवं शोध-पत्र कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। विभिन्‍न राष्‍ट्रीय संगोष्ठियों में प्रतिभागिता एवं सक्रिय भूमिका निभाने के कारण इन्‍हें इलाहाबाद संग्रहालय द्वारा वर्ष 2017 का ‘अवार्ड ऑफ़ एक्‍सीलेंस’ प्रदान किया गया। 

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