Upanyason Ke Rachna Prasang

Author: Kushum Vashney
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Upanyason Ke Rachna Prasang
किसी भी कृति की रचना-प्रक्रिया को जानना बेहद दिलचस्प और रोमांचक होता है। मानस की कितनी ही गूढ़ और अनजानी परतों से होकर कोई रचना जन्म लेती है। प्रस्तुत पुस्तक में लेखिका ने विभिन्न महत्त्वपूर्ण उपन्यासों की रचना-प्रक्रिया की परख-पड़ताल की है। पुस्तक के पहले दो अध्याय— ‘अंकुरण : अनुभूति से अभिव्यक्ति बिन्दु तक की प्रक्रियाएँ’ और ‘अवतरण : अभिव्यक्ति की प्रक्रियाएँ’ में रचना-प्रक्रिया को समझने और विश्लेषित करने का प्रयास किया गया है। इसमें देश-विदेश के बहुत से उपन्यासकारों के वक्तव्यों और विचारों को इसीलिए संकलित किया गया है ताकि भिन्न-भिन्न परिवेश और देश, विभिन्न संस्कृति और सभ्यता, विभिन्न भाषायी उपन्यासकारों के वक्तव्यों को आमने-सामने रखकर रचना-प्रक्रिया का सार्थक विश्लेषण किया जा सके। पुस्तक में संकलित ‘नाच्यौ बहुत गोपाल’ के अवतरण की कहानी विशेष उपलब्धि है जिसमें अमृतलाल नागर के इस महत्त्वपूर्ण उपन्यास के रचना-प्रसंग की कथा बयान की गई है। पाठकों के लिए हमेशा ही काम आनेवाली एक महत्त्वपूर्ण कृति।
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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2007
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 283p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 2.5
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Author: Kushum Vashney

कुसुम वार्ष्णेय

शिक्षा : एम.ए., डी.फ़िल्., डी.लिट्.।

पूर्व प्रोफ़ेसर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी।

प्रमुख कृतियाँ : ‘निराला का कथा साहित्य’, ‘हिन्दी उपन्यासों में नायक’, ‘भगवतीचरण
वर्मा : ‘चित्रलेखा’ से ‘सीधी सच्‍ची बातें’ तक, ‘उपन्‍यासों के रचना-प्रसंग’, ‘हिन्दी की चर्चित कहानियाँ : एक विश्लेषण’।

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