Tukantak Shabdkosh

Edition: 2018, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Tukantak Shabdkosh
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‘तुकान्तक शब्दकोश'—तुक से अन्त होनेवाले शब्दों का संकलन। लय, स्वर और ताल के बिना जैसे संगीत निष्प्रभ है, वैसे ही तुक के बिना कविता नीरस है।

तुक से ही एक सामान्य वाक्य को कविता में ढाला जा सकता है। अभिव्यक्ति को प्रभावी बनाया जा सकता है।

परमानन्द चतुर्वेदी का यह तुकान्तक कोश उनके अनेक सालों के कड़े परिश्रम का परिणाम है। वर्ष 1964 से ही वह इस कोश की रचना-प्रक्रिया में जुट गए थे। कोश में तुक से अन्त होनेवाले अनेक शब्द संकलित किए गए हैं और उन्हें भी अकारान्त, आकारान्त, इकारान्त आदि क्रम में रखा गया है।

'तुक' की महत्ता का वर्णन करते हुए परमानन्द महाकवि भूषण के उस छन्द का ज़िक्र करते हैं जो उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रशंसा में अपने प्रथम मिलन के अवसर पर उन्हें सुनाया था—

“इन्द्र जिमि जंभ पर, बाडव सुअंभ पररावन सदंभ पररघुकुल राज है।

पौन बारिकाह पर, संभु रतिनाह पर, ज्यों सहस्रबाह पर रामद्विज राज है॥”

जंभ, अंभ तथा सदंभ आदि के तुकान्तक शब्दों ने, प्रभावी उपमाओं के योग से जो प्राण इस छन्द में फूँक दिए हैं, उन पर शिवाजी महाराज तक रीझे बिना न रह सके। कहते हैं शिवाजी महाराज ने यह छन्द भूषण से बार-बार सुना और प्रत्येक बार एक स्वर्ण-मुद्रा पारितोषिक रूप में प्रदान की।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 408p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
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Parmanand Chaturvedi

Author: Parmanand Chaturvedi

परमानन्द चतुर्वेदी

जन्म: 2 जनवरी, 1931 को दानापुर, जनपद बुलन्दशहर, उत्तरप्रदेश में ।

शिक्षा: यूनिवर्सिटी ऑफ रूड़की, रूड़की से ओवरसियर ।

प्रकाशित अन्य रचनाएँ: गीता के प्रथम तथा द्वितीय अध्याय (कविता), श्रीसत्यनारायण व्रत कथा, महात्म्य (दोहे चौपाइयों में), ईशावास्योपनिषद् (पद्यानुवाद) एवं चचा साहब की सवारी. (कहानी, लेख एवं व्यंग्य संग्रह) ।

सम्प्रति : 19/4/1954 को पश्चिम रेलवे में प्रशिक्षु सहायक निर्माण निरीक्षक के पद पर पदस्थ हो, 31 जनवरी, 1989 में सहायक इंजीनियर के पद से सेवानिवृत्त । 'पश्चिम रेलवे मजदूर संघ' रतलाम मंडल के डिवीजन चेयरमैन रहते हुए, वर्षों से दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को, दाहोद, रतलाम तथा उज्जैन में स्थायी कराया।

निघन: 2013

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