Sankhayaparak Shabd Kosh

सम् उपसर्ग पूर्वक ख्या (प्रकथने) धातु से ‘संख्या’ शब्द बना है। ‘प्रकथन’ का अर्थ है ‘नाम निर्देश’ करना। गिनतियों में भावों के नाम होने के कारण इनको ‘संख्या’ शब्द से व्यक्त किया गया है। शास्त्र और लोक की व्यवहार परम्परा में संख्यावाचक शब्दों का प्रयोग विभिन्न स्तरों पर प्राचीन काल से होता रहा है। पालि त्रिपिटक के अन्तर्गत सुत्तों की जो विशेषताएँ कही गई हैं, उनमें से एक 'संख्यात्मक परिगणन प्रणाली' का प्रयोग भी है। संख्यात्मक वर्गीकरण के प्रयोग सांख्य और जैन दर्शन में विशेष दिखाई पड़ने के साथ वाल्मीकि रामायण, महाभारत एवं पौराणिक साहित्य में भी दिखते हैं जो प्रबुद्ध प्रतिभा और उर्वर कल्पना का संस्पर्श पाकर गूढ़ एवं रहस्यगर्भित संकेतों के द्योतक प्रतीकों के रूप में सार्थक हो उठे हैं।
भारतीय धर्म साधना एवं साहित्य की विविध विधाओं में जिन अनेक गूढ़ार्थपरक संख्यावाचक शब्दों का प्रयोग हुआ है, उन सबका संचयन और विवेचन एवं मूल सन्दर्भ ग्रन्थों से आवश्यक उद्धरणांश देकर प्रस्तुत कोश को भरसक उपादेय बनाने के लिए एक से लेकर एक सौ आठ संख्या पर्यन्त प्राप्त हुए 4090 संख्या शब्दों का यहाँ विवेचन किया गया है। विश्वास है, प्रस्तुत मौलिक प्रयास सर्वोपयोगी सिद्ध होगा।
प्रस्तुत कोश में संगृहीत लगभग पाँच हज़ार संख्यापरक शब्दों को तत्सम्बन्धी अस्सी संख्या शीर्षकों में अकारादि क्रम से विभाजित कर उपस्थित किया गया है जिससे किसी भी शब्द से सम्बन्धित आवश्यक जानकारी प्राप्त करने में कोई असुविधा न हो। उदाहरणार्थ यदि ‘तैंतीस देवता' शब्द देखना है तो कोश में ‘तैंतीस’ संख्या शीर्षक के अन्तर्गत ‘देवता तैंतीय' देखना होगा। इसी तरह यदि ‘एकादश रुद्र’ शब्द देखना है तो ‘ग्यारह’ संख्या शीर्षक के अन्तर्गत ‘रुद्र एकादश’ शब्द खोजना होगा। आदि-आदि।
Language | Hindi |
---|---|
Format | Hard Back |
Publication Year | 2019 |
Edition Year | 2019, Ed. 1st |
Pages | 474p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Lokbharti Prakashan |
Dimensions | 21.5 X 14 X 2.5 |
It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here