मनोविज्ञान मानव-समस्याओं के सम्यक् ज्ञान एवं समाधान के लिए समुचित दृष्टिकोण उपस्थित करता है। व्यक्ति में समुचित दृष्टिकोण का विकास हो, इसके लिए यह अनिवार्य है कि उसे मानव-जीवन-सम्बन्धी तथ्यों एवं सामान्य सिद्धान्तों का ज्ञान हो तथा वह इनकी खोज की विधियों से भलीभाँति परिचित हो। समुचित दृष्टिकोण का तात्पर्य है व्यक्ति की अवैयक्तिक (Impersonal) एवं वस्तुनिष्ठ (Objective) मनोवृत्ति। ऐसी मनोवृत्ति अपनाकर ही मनोवैज्ञानिक मानव-समस्याओं की खोज करता है। फलतः वह असामान्य व्यक्तियों (Abnormal individuals) को परामर्श, सहायता अथवा चिकित्सा का पात्र समझता है, न कि घृणा का। चोरी, हत्या जैसे असामाजिक कार्यों में संलग्न अपराधियों के प्रति भी वह घृणा के बदले सहानुभूति की मनोवृत्ति रखता है। इसी भाँति प्रतिदिन के जीवन में घटित होनेवाले सभी व्यवहारों के प्रति भी, चाहे वे वांछनीय हों अथवा अवांछनीय, अवैयक्तिक एवं वस्तुनिष्ठ मनोवृत्ति अपनाकर ही विचार करता है।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Publication Year | 2012 |
Edition Year | 2012, Ed. 1st |
Pages | 399p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22 X 14.5 X 2.5 |