Ranjish Hi Sahi…

Author: Kumar Pankaj
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Ranjish Hi Sahi…
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संस्मरण ने विधा के रूप में हिन्दी में जो छवि अर्जित की है, वह सामान्यतः ऐसे गद्य का संकेत देती है जिसे लिखना कुछ-कुछ स्मृतियों के धवल-सजल संसार को शब्दबद्ध करना होता है। पढ़नेवाला भी उसे इसी मंशा से पढ़ने जाता है कि हल्के-फुल्के श्रद्धा-विगलित विवरणों के साथ कुछ जानकारी भी मिल जाए। लेकिन इधर इस विधा में एक सशक्त गद्य की रचना का प्रयास दिखाई देने लगा है जो काशीनाथ सिंह के संस्मरणों में प्रबल रूप में सामने आया था। जहाँ संस्मरण के पात्रों की प्रस्तुति कहानी-उपन्यास के पात्रों की तरह बहुपार्श्विक होती है।

कुमार पंकज के ये संस्मरण भी इस दृष्टि से श्लाघनीय हैं। विश्वविद्यालय में अध्यापन से जुड़े कुमार पंकज ने इन संस्मरणों में उन व्यक्तियों के चित्र तो आँके ही हैं जिन्हें वे याद कर रहे हैं, विश्वविद्यालयों और विशेष रूप से हिन्दी विभागों के गुह्य-जगत पर भी एकदम सीधी और तीखी रोशनी यहाँ पड़ती हैं। इन संस्मरणों को पढ़ना हिन्दी साहित्य के उस पार्श्व को जानना है, जो हो सकता है कि एकबारगी किसी नए साहित्य-उत्साही का मोहभंग कर दे, लेकिन सम्भवतः आत्मालोचना का यही तेवर शायद भविष्य में भाषा के ज्यादा काम आए। यहाँ सिर्फ़ चुटकियाँ नहीं हैं; स्पष्ट आलोचना है, जो सिर्फ़ मनोरंजन की छवियों को थोड़ा और वस्तुनिष्ठ होकर देखने को कहती है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2017
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 156p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Kumar Pankaj

Author: Kumar Pankaj

कुमार पंकज

09 जुलाई, 1953 को बरेली (उ.प्र.) में जन्म, इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई जी.आई.सी. इटावा में, बी.ए और एम.ए. (गोल्ड मैडलिस्ट) इलाहाबाद विश्वविद्यालय से, वहीं यू.जी.सी. रिसर्च फ़ेलो। शोध छात्र रहते हुए ही अप्रैल 1974 में मात्र 20 वर्ष, 09 माह की आयु में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रवक्ता पद पर नियुक्त, वहीं से पीएच.डी. की उपाधि 1977 में। 1985 में रीडर एवं 1933 में प्रोफ़ेसर पद पर नियुक्त। एकेडमिक स्टाफ़ कॉलेज, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के निदेशक पद (2005-2009) पर कार्य, साथ ही हिन्दी विभाग के अध्यक्ष पद (2006-2009) का भी दायित्व। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विभिन्न प्रशासनिक पदों के कार्य का गहन अनुभव। लेख और पुस्तकें प्रकाशित। अपने संस्मरणों के लिए चर्चित।

सम्प्रति : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विभाग में प्रोफ़ेसर एवं डीन, कला संकाय; समूचे भारतवर्ष के विश्वविद्यालयों के हिन्दी विभागों में सेवारत प्रोफ़ेसरों में वरिष्ठतम।

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