Rajbhasha Sahuliyatkaar

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Rajbhasha Sahuliyatkaar
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राजभाषा नीति-कार्यान्वयन के महत्त्वपूर्ण कार्य में वांछित योगदान करने के लिए इस आदर्श कार्य से जुड़े राजभाषा कर्मियों को बहुआयामी प्रज्ञा और क्षमता से लैस होने की आवश्यकता है। उन्हें सफल मार्गदर्शक, पर्यवेक्षक, निरीक्षक, अनुवादक, अध्यापक, संप्रेषक, समन्वयक और प्रचारक की भूमिका एक साथ निभानी पड़ती है। यूं तो वरिष्ठ और अनुभवी राजभाषा अधिकारियों का सान्निध्य कनिष्ठ राजभाषा सहकर्मियों को मिलता ही है पर तत्काल आवश्यकता होने पर एक संकलित मार्गदर्शिका अधिक सहायक होती है।

‘राजभाषा सहूलियतकार’ ऐसी आवश्यकता को पूरा करने का एक प्रयास है। आज के ‘वन स्टॉप सॉल्यूशन’ को ध्यान में रखकर राजभाषा एवं इसके कार्यान्वयन सम्बन्धी सभी पहलुओं को एक ही स्थान पर सहेजा गया है ताकि सभी श्रेणियों के राजभाषा कार्यान्वयनकार इससे लाभान्वित हो सकें।

राजभाषा नीति, समारोहों, पुरस्कार-योजनाओं, हिन्दी सेवी संगठनों, तकनीकी उपकरणों इत्यादि पर उपलब्ध कराई गई जानकारी राजभाषा कार्यान्वयनकारों के अतिरिक्त हिन्दी भाषा-प्रयोग से जुड़े सभी भाषाकर्मियों के लिए भी समान रूप से सहायक होगी।

निस्सन्देह ‘राजभाषा सहूलियतकार’ के प्रत्येक अध्याय के प्रत्येक शीर्षक की विषयवस्तु से हर पाठक लाभान्वित होंगे।

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2024, Ed. 2nd
Pages 504p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
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Dr. V. Venkateswara Rao

Author: Dr. V. Venkateswara Rao

डॉ. वी. वेंकटेश्वर

डॉ. वी. वेंकटेश्वर राव का जन्म 24 अगस्त, 1957 को तूटिकुंट्ला, तेलंगाना में हुआ। उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद से हिन्दी में पी-एच.डी. और पी.जी.डी. की।

उन्होंने दक्षिण मध्य रेलवे और पूर्व सिंडिकेट बैंक (इसका विलयन केनरा बैंक के साथ हुआ) में राजभाषा विशेषज्ञ पद पर 33 वर्षों तक कार्य किया।

सिंडिकेट बैंक में अपने कार्यकाल में उन्होंने बैंक के लिए ‘हिन्दी लिखें, पढ़ें और बोलें’, ‘आइए : प्रान्तीय भाषा में बात करें’ (दो खंड), ‘अंग्रेजी-हिन्दी शब्दावली डेस्क पुस्तिका’, ‘हिन्दी के विकास में कर्नाटक का योगदान’, ‘वैकल्पिक वितरण चैनल : बैंकों और ग्राहकों के लिए वरदान और चुनौती’, ‘सामाजिक और आर्थिक विकास में सरकार की विभिन्न पहल’ पुस्तकों का लेखन और सम्पादन किया।

राजभाषा प्रबंधन, प्रयोजनमूलक हिन्दी (डॉ. बी.आर. अंबेडकर सार्वत्रिक विश्वविद्यालय, हैदराबाद के स्नातक पाठ्यक्रम में शामिल इकाई), पुस्तकालय, हिन्दी प्रशिक्षण, हिन्दी के विकास में हिन्दीतर भाषियों का योगदान, अनुवाद परिचय जैसे विषयों पर उनके कई आलेख प्रकाशित और आकाशवाणी से प्रसारित हुए हैं।

उनके राजभाषा प्रभारी रहते राजभाषा कार्यान्वयन के सक्रिय प्रबंधन के फलस्वरूप सिंडिकेट बैंक को 38 राजभाषा पुरस्कार मिले; यथा : 3 राजभाषा कीर्ति पुरस्कार, 10 क्षेत्रीय राजभाषा शील्ड (गृह मंत्रालय), दो राज्य स्तरीय राजभाषा शील्ड (राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति), 3 भारतीय रिजर्व बैंक पुरस्कार (हिन्दी गृह पत्रिका), 14 नगर राजभाषा स्तरीय शील्ड, 2 राजभाषा सेवा संस्थान पुरस्कार, दिल्ली; 3 परिवर्तन जनकल्याण समिति पुरस्कार और राष्ट्रभारती पुरस्कार, हैदराबाद। इनके अतिरिक्त 15 अन्तरा बैंक राजभाषा शील्ड भी प्राप्त हुई।

वे बैंक से सहायक महाप्रबन्धक पद से सेवानिवृत्त हुए।

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