Premchand : Kalam Ka Sipahi

Author: Amrit Rai
Edition: 2021, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan - Hans Prakashan
As low as ₹449.25 Regular Price ₹599.00
25% Off
In stock
SKU
Premchand : Kalam Ka Sipahi
- +
Share:

हिन्दी समाज द्वारा व्यापक रूप में स्वीकृत इस पुस्तक को मुंशी प्रेमचन्द की पहली और अपने आप में सम्पूर्ण जीवनी का दर्जा प्राप्त है। जीवनीकार प्रेमचन्द के पुत्र और ख्यात लेखक-कथाकार अमृतराय हैं। लेकिन उन्होंने यह जीवनी पुत्र होने के नाते नहीं, एक लेखक की निष्पक्षता के साथ लिखी है। हाँ, उनके नजदीक होने के चलते यह सुविधा उन्हें जरूर रही कि वे प्रेमचन्द के कुछ उन पक्षों को भी देख सके, जिससे यह जीवनी और समृद्ध हुई। लेखक से इतर एक पिता, पति, भाई और मित्र प्रेमचन्द के कई रूप हम इसी के चलते देख पाते हैं। लेकिन अमृतराय यहीं तक सीमित नहीं रहे। जीवनी को सम्पूर्ण रूप देने के लिए वे हर उस जगह गए जहाँ प्रेमचन्द कभी रहे थे, हर उस व्यक्ति से मिले जो या तो उनके सम्पर्क में रहा था, या उनसे पत्र-व्यवहार करता था। उन्होंने प्रेमचन्द की कलम से लिखी गई हिन्दी और उर्दू की पूरी सामग्री को भी पढ़ा और उनके जीवनकाल की राजनीतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि का भी विस्तार से अध्ययन किया।

प्रेमचन्द की इस जीवनी में हम उनकी कहानियों और उपन्यासों की रचना-प्रक्रिया के अलावा वे कब, किन परिस्थियों में लिखी गईं, यह भी जान पाते हैं, और प्रेमचन्द के व्यक्तित्व तथा जीवन के उन पहलुओं को भी जो कथाकार के रूप में उनकी अथाह ख्याति के पीछे छिपे हुए हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 1962
Edition Year 2021, Ed. 2nd
Pages 591p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan - Hans Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 3.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Premchand : Kalam Ka Sipahi
Your Rating
Amrit Rai

Author: Amrit Rai

अमृतराय

अमृतराय का जन्म 15 अगस्त, 1921 को कानपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ। साहित्य की सभी प्रमुख विधाओं में निरन्तर लेखन करते हुए इन्होंने रवीन्द्रनाथ ठाकुर, शेक्सपियर, ब्रेख़्त, जूलियस फूचिक, आस्त्रोवस्की, हावर्ड फ़ास्ट जैसे विश्वचर्चित लेखकों की महत्त्वपूर्ण कृतियों का हिन्दी में अनुवाद किया। दस वर्षों तक ‘हंस’ पत्रिका के सम्पादक रहे। सम्पादक के रूप में लगातार नई प्रतिभाओं को उभरने के अवसर दिए। प्रेमचन्द की ढेर सारी अप्रकाशित रचनाओं को एकत्रित और प्रकाशित करने का श्रेय भी अमृतराय को जाता है।    

इनकी प्रमुख कृतियाँ हैं : ‘बीज, नागफनी का देश’, ‘जंगल’, ‘धुआँ’ (उपन्यास); ‘क़स्बे का एक दिन’, ‘गीली मिट्टी’, ‘भोर से पहले’, ‘सरगम’ (कहानियाँ); ‘चिन्दियों की एक झालर’, ‘शताब्दी’, ‘हमलोग’ (नाटक); ‘प्रेमचन्द : क़लम का सिपाही’ (जीवनी); ‘नई समीक्षा’, ‘विचारधारा और साहित्य’, ‘प्रेमचन्द की प्रासंगिकता’ (आलोचना); ‘अग्निदीक्षा’, ‘आदिविद्रोही’, ‘ख़ौफ़ की परछाइयाँ’, ‘फाँसी के तख़्ते से’, ‘समरगाथा’, ‘हैमलेट’  ‘रवीन्द्रनाथ के निबन्ध’ (अनुवाद) आदि।

अमृतराय को ‘प्रेमचन्द : क़लम का सिपाही’ के लिए 1963 में साहित्य अकादेमी पुरस्कार एवं 1971 में सोवियतलैंड नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इन्हें हावर्ड फ़ास्ट के उपन्यास ‘स्पार्टाकस’ के अनुवाद ‘आदिविद्रोही’ के लिए भारत सरकार द्वारा सर्वश्रेष्ठ अनुवाद पुरस्कार दिया गया। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा भारत भारती पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए।

14 अगस्त, 1996 को प्रयागराज में निधन हुआ।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top