Pratinidhi Kavitayen : Ibne Insha

Author: Ibne Insha
Editor: Abdul Bismillah
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Pratinidhi Kavitayen : Ibne Insha
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उर्दू के सुविख्यात शायर इब्ने इंशा की प्रतिनिधि ग़ज़लों और नज़्मों की यह पुस्तक हिन्दी पाठकों के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के समान है। हिन्दी में वे कबीर और निराला तथा उर्दू में मीर और नज़ीर की परम्परा को विकसित करनेवाले शायर हैं। जीवन का दर्शन और जीवन का राग उनकी रचनाओं को बिलकुल नया सौन्दर्य प्रदान करता है। उर्दू शायरी के प्रचलित विन्यास को उनकी शायरी ने बड़ी हद तक हाशिए में डाल दिया है। अब्दुल बिस्मिल्लाह के शब्दों में कहें तो इंशाजी उर्दू कविता के पूरे जोगी हैं। हालाँकि रूप-सरूप, जोग-बिजोग, बिरहन, परदेशी और माया आदि का काव्य-बोध इंशा को कैसे प्राप्त हुआ, यह कहना कठिन है, फिर भी यह असन्दिग्ध है कि उर्दू शायरी की केन्द्रीय अभिरुचि से यह अलग है या कहें कि यह उनका निजी तख़य्युल है। दरअस्ल भाषा की सांस्कृतिक और रूपगत संकीर्णता से ऊपर उठकर शायरी करनेवालों की जो पीढ़ी 20वीं सदी में पाकिस्तानी उर्दू शायरी में तेज़ी से उभरी थी, उसकी बुनियाद में इंशा सरीखे शायर की ख़ास भूमिका थी।

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 1990
Edition Year 2022, Ed. 8th
Pages 140p
Translator Not Selected
Editor Abdul Bismillah
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 12 X 1
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Ibne Insha

Author: Ibne Insha

इब्ने इंशा

जन्म :  सन् 1927 का कोई महीना।

जन्म-स्थान : लुधियाना (पंजाब)। प्रारम्भिक शिक्षा लुधियाना में ही। बाद में पाकिस्तान बनने के बाद ‘पाकिस्तानी’ बनना पड़ा। 1949 में कराची आ बसे, वहीं उर्दू कॉलेज से बी.ए. किया।

माँ-बाप का दिया नाम शेर मोहम्मद ख़ाँ, लेकिन कमसिनी में ही स्वयं को इब्ने इंशा कहना और लिखना शुरू कर दिया और अन्तत: यही नाम असली हुआ।

उर्दू के प्रख्यात कवि और व्यंग्यकार। लहज़े में मीर की ख़स्तगी और नज़ीर की फ़क़ीरी। आजीवन दुनिया-भर में घूमते रहे। समाज के सुख-दु:ख से गहरा रिश्ता रखते हुए मनुष्य की स्वाधीनता और स्वाभिमान के प्रबल पक्षधर रचनाकार। हिन्दी भाषा के अच्छे जानकार थे। उर्दू-रचनाओं में हिन्दी में ख़ूबसूरत प्रयोगों की भरमार है। हिन्दी-ज्ञान के बल पर ही शुरू में ऑल इंडिया रेडियो पर काम किया। बाद में कौमी किताब घर के निदेशक, इंग्लैंड स्थित पाकिस्तानी दूतावास में सांस्कृतिक मंत्री और फिर पाकिस्तान में यूनेस्को के प्रतिनिधि रहे।

प्रमुख पुस्तकें : ‘उर्दू की आख़िरी किताब’ (व्यंग्य-संग्रह); ‘चाँदनगर’, ‘इस बस्ती के इस कूचे में’ (कविता-संग्रह); ‘बिल्लू का बस्ता’, ‘यह बच्चा किसका बच्चा है’ (बाल-कविताएँ)।

निधन : 11 जनवरी, 1978 को लंदन में कैंसर से मृत्यु।

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