Patrakarita Ke Naye Ayam

Author: S. K. Dubey
Edition: 2006, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Patrakarita Ke Naye Ayam

पत्रकारिता एक बौद्धिक कर्म है। पत्रकारिता अतीत का मन्थन करती है, वर्तमान को सँवारती है और भविष्‍य को सुधारने का ताना-बाना बुनती है। युग-चेतना से समृद्ध पत्रकारिता ही विषम परिस्थितियों का सम्यक् विवेचन करके जनमानस को आम सहमति के बिन्दु तक ले जाने का मंच प्रदान करती है। युगीन समस्याओं, जन-आकांक्षाओं, अपेक्षाओं और सम्भावनाओं पर मनन करके एक रचनात्मक चिन्तन का कैनवस तैयार करती है।

चेतना का प्रवाह करना पत्रकारिता है। परस्पर विरोधी विचारों को समर्थन-विरोध प्रणाली से तौलते हुए तत्त्व की बातें तथ्य सहित पाठकों के सामने लाना पत्रकार कर्म की सफलता है। पत्रकारिता जन-जन को जोड़ने का काम करती है। इसका प्रमुख कार्य मेल-जोल की संस्कृति का विकास करना है। 21वीं सदी की पत्रकारिता महज़ सैद्धान्तिक या वैचारिक ही नहीं रह गई है, उस पर व्यावसायिकता निरन्तर हावी होती जा रही है। विश्‍वविद्यालयों के अध्यापक पहले से तथा कार्यरत पत्रकार दूसरे से सम्बन्ध रखते हैं। पत्र-पत्रिका आख़िर व्यावसायिक उत्पाद भी हैं।

पत्रकारिता के परिप्रेक्ष्‍य में अपने समय के विभिन्‍न आयामों से गुज़रती एक महत्‍त्‍वपूर्ण और संग्रणीय पुस्‍तक।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2006
Edition Year 2006, Ed. 1st
Pages 192p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Author: S. K. Dubey

शिव कुमार दुबे

जन्म: जुलाई, 1940, बलिया जिले के – हुसेनाबाद गाँव में।

शिक्षा - इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम० ए० और डी० फिल

पत्रकारिता - 1961 में 'द लीडर' से पत्रकारिता के क्षेत्र में। 1965-66 में 'द लीडर' की नौकरी छोड़ कर नार्दन इंडिया पत्रिका में 1972 में कुछ दिनों के लिए दिल्ली यू०एन०आई० में, लेकिन दिल्ली रास नहीं आयी और फिर नार्दन इंडिया पत्रिका में। 1985 की मई से 'द टाइम्स ऑफ इंडिया', लखनऊ के इलाहाबाद कार्यालय तथा पत्रकारिता की रजत जयन्ती वर्ष में प्रवेश। 1992 में टाइम्स ऑफ इंडिया से त्यागपत्र और नार्दन इंडिया पत्रिका में कार्यकारी सम्पादक के पद पर पुनः प्रवेश| 1995 से पत्रिका के साथ साथ अमृत प्रभात के सम्पादकीय विभाग के समन्वयक | 1 सितंबर 1997 में ‘देशबंधु ‘ के सतना संस्करण के संपादक का पदभार ग्रहण और 18 मार्च 1997 से पुनः टाइम्स ऑफ़ इण्डिया में अक्टूबर 2002 तक |
पत्रकारिता के क्षेत्र में श्लाध्य कार्य के लिए तथा अपनी पुस्तक हिन्दी पत्रकारिता: इतिहास एवं स्वरूप' के लिए मदन मोहन मालवीय पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित। इसके पूर्व रोटरी क्लब, लायन्स क्लब, इलाहाबाद जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन और इंडियन सोशल कल्चरल आर्गनाइजेशन द्वारा विशेष समारोहों में सम्मानित। 14 फरवरी, 2000 को. प्रयाग की विशिष्ट सेवाओं के लिए त्रिवेणी महोत्सव समिति द्वारा 'सरस्वती सम्मान' से अलंकृत।

उपलब्धियाँ - उत्तर प्रदेश प्रेस मान्यता समिति के सदस्य 1987 से 1989 तक। उत्तर प्रदेश विज्ञापन मान्यता समिति के सदस्य 1990 से 1993 तक। उत्तर प्रदेश जनलिस्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष 1987-881 नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष 1993 से 1995 और पुन: जयपुर अधिवेशन में दो वर्ष के लिए 1996 में निर्वाचित। हिन्दी, अंग्रेजी और संस्कृत के अच्छे ज्ञाता। ए क्रिटिकल स्टडी ऑफ नॉवेल्स ऑफ खुशवंत सिंह, ‘कुम्भ सिटी प्रयाग' (अंग्रेजी) कुंभ के अवसर पर 2001 फरवरी से विमोचित।

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