Meri Roos Yatra

Author: Anna Bhau Sathe
Translator: Sadanand Bhosale
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Meri Roos Yatra

अण्णा भाऊ साठे एक सक्रिय कॉमरेड थे, इसलिए उनकी दिली इच्छा थी कि कुछ भी करके जीवन में एक बार सोवियत संघराज्य देखा जाए। उनके रूस पहुँचने से पहले ही उनका साहित्य रूस की जनता तक पहुँच चुका था। एक प्रखर कॉमरेड के रूप में उनके विचारों और साहित्य का रूसी जनता, चिन्तकों एवं राजनेताओं से गहरा परिचय हो चुका था। अण्णा भाऊ ने बड़ी ईमानदारी से स्वीकार किया है कि उन्हें रूस-यात्रा का अवसर उनके साहित्य सृजन के कारण प्राप्त हुआ।

अण्णा भाऊ ने मनुष्य को मनुष्य के रूप में देखा, समझा और प्रस्तुत किया है। यह दृष्टि उन्हें मार्क्सवादी दर्शन से प्राप्त हुई है।

मेरी रूस यात्रा  शीर्षक यात्रा वर्णन में उन्होंने अपने साहचर्य में आए पात्रों का बहुत ही सुन्दर एवं संवेदनापूर्ण चित्रण किया है। इस चित्रण में उनके भीतर बसा हुआ साहित्य-सर्जक बहुत ही उच्चकोटि‍ का दिखता है। अण्णा भाऊ को महाराष्ट्र की मिट्टी के प्रति बहुत लगाव था, आत्मीयता का भाव था। इसका भी परिचय इस यात्रा-वर्णन में प्राप्त होता है। उन्होंने मॉस्को में पहला भाषण मराठी में दिया। अण्णा भाऊ की भाषा व्यंग्यपूर्ण है। सहज, सरल भाषा में वे गहरा व्यंग्य-प्रहार करने में कुशल हैं।

यात्रा वर्णन के अन्त में अण्णा भाऊ ने पूर्वदीप्ति शैली का सुन्दर प्रयोग किया है। ताशकन्द से दिल्ली विमान यात्रा के दौरान वे पूर्वदीप्ति शैली में भूत और वर्तमान को अभिव्यक्ति देते हैं, जो इस यात्रा-वर्णन को अत्यन्त प्रभावी एवं रसमय बनाता है, चरमोत्कर्ष पर ले जाता है।

अण्णा भाऊ की कलम में स्वानुभूति की धार है, भाषा में लोक जीवन की महक है, वे शब्दों के जादूगर हैं, सहज-सरल, प्रवाही भाषा द्वारा चरित्र-चित्रण को मनोवैज्ञानिक आधार पर प्रस्तुत करने में माहिर और सजग लेखक हैं। उनमें निरीक्षण की अद्भुत क्षमता है, जो उनके जीवनानुभवों से सिद्ध हुई है। कहीं पर भी वर्णन में अतिशयोक्ति एवं अस्वाभाविकता नहीं है। मनुष्य को सार्वकालि‍क दृष्टि से देखने का उनका नजरि‍या विशेष है।

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2021
Edition Year 2021, Ed. 1st
Pages 79p
Translator Sadanand Bhosale
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21 X 14 X 0.5
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Anna Bhau Sathe

Author: Anna Bhau Sathe

अण्णा भाऊ साठे

अण्णा भाऊ साठे का जन्म 1 अगस्त, 1920 ई. को वाटेगाँव (सांगली), महाराष्ट्र में हुआ।

प्रमुख कृतियाँ :अकलेची गोष्ट’, ‘खापर्या’, ‘कलंत्री’, ‘बिलंदर बुडवे’, ‘बेकायदेशीर’, ‘शेटजीचं इलेक्शन’, ‘पुढारी मिळाला’, ‘माझी मुंबई’, ‘देशभक्त घोटाळे’, ‘दुष्काळात तेरावा’, ‘निवडणुकीतील घोटाळे’, ‘लोकमंत्र्याचा दौरा’, ‘पेंग्याचे लगीन’ (‍लोकनाट्य);इनामदार’, ‘पेंग्याचं लगीन’, ‘सुलतान’ (नाटक); ‘आग’, ‘आघात’, ‘अहंकार’, ‘अग्निदिव्य’, ‘कुरूप’, ‘चित्रा’, ‘फुलपाखरू’, ‘वारणेच्या खोर्यात’, ‘रत्ना’, ‘रानबोका’, ‘रूपा’, ‘संघर्ष’, ‘तारा’, ‘गुलाम’, ‘डोळे मोडीत राधा चाले’, ‘ठासलेल्या बंदुका’, ‘जिवंत काडतूस’, ‘चंदन, मूर्ती’, ‘मंगला’, ‘मथुरा’, ‘मास्तर’, ‘चिखलातील कमळ’, ‘अलगूज’, ‘रानगा’, ‘माकडीचा माळ’, ‘कवडयाचे कणीस’, ‘वैजयंता’, ‘धुंद रानफुलाचा’, ‘आवडी’, ‘वारणेचा वाघ’, ‘फकिरा’, ‘वैर’, ‘पाझर’, ‘सैरसोबत’ (उपन्यास); ‘बरबाद्या कंजारी’, ‘चिरानगरची भुतं’, ‘निखारा’, ‘नवती’, ‘पिसाळलेला माणूस’, ‘आबी’, ‘फरारी’, ‘भानामती’, ‘लाडी’, ‘कृष्णाकाठच्या कथा’, ‘खुळंवाडी’, ‘गजाआड’, ‘गुर्हाळ’ (कहानी-संग्रह); ‘गण’, ‘महाराष्ट्रची परंपरा’, ‘स्तालिनग्राडचा पोवाडा’, ‘अमळनेरचे अमर हुतात्मे’, ‘पंजाब-दिल्लीचा दंगा’, ‘बंगालची हाक’, ‘एकजुटीचा नेता’, ‘महाराष्ट्रवरूनी’, ‘टाक ओवाळून काया’, ‘रवि आला लावुनी तुरा’, ‘िवारी चला’, ‘दुनियेची दौलत सारी’, ‘माझी मैना गावावर राहिली’, ‘जग बदल घालुनी घाव!’, ‘जग बदल घालुनी घाव!’, ‘मुंबईची लावणी’ (पोवाडा); ‘माझा रशियाचा प्रवास’ (यात्रा-वृत्तांत)।  इनके कई उपन्यासों पर फिल्में भी बनीं।

निधन : 18 जुलाई, 1969; मुम्बई (महाराष्ट्र)।

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