Krantipurush Jyotirav Fule

Edition: 2024, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
As low as ₹187.50 Regular Price ₹250.00
25% Off
In stock
SKU
Krantipurush Jyotirav Fule
- +
Share:

भारतीय इतिहास में एक वक्त ऐसा भी था जब यहाँ के लोग एक तरफ ब्रिटिश पराधीनता की मार झेल रहे थे तो दूसरी तरफ वे अपनी ही भेदभावमूलक सामाजिक व्यवस्था के चक्के तले पिस रहे थे। मुट्ठी भर उच्च जातीय और उच्च वर्गीय लोग ही इस दोहरी मार से अप्रभावित थे लेकिन अधिसंख्य आबादी के लिए इससे बचना सम्भव नहीं था। इसमें भी, उन लोगों की मुश्किलों की तो कोई गिनती ही न थी, जो समाज के सबसे निचले पायदान पर थे। इन्हीं परिस्थितियों में परिवर्तन की वह सुगबुगाहट शुरू हुई जिसे आज 'पुनर्जागरण' कहा जाता है। जाहिर है, एक खंडित-विभाजित समाज में कोई पुनर्जागरण भी अखंड, सर्वस्वीकृत नहीं हो सकता था। उच्च जातीय-उच्च वर्गीय लोगों के लिए पुनर्जागरण का मतलब अगर अपना कथित धर्म और संस्कृति बचाने की जद्दोजहद थी तो उनसे इतर के लोगों के लिए समानता और शिक्षा की स्वतंत्रता हासिल करने का संघर्ष। यह दूसरी धारा जिन महान विभूतियों के जीवन और कर्म से मूर्तिमान हुई, ज्योतिराव फुले उन्हीं में से एक थे।

यह उपन्यास उन्हीं ज्योतिराव के जीवन और संघर्ष की कथा पेश करता है। समाज की रूढ़िवादी, ब्राह्मणवादी शक्तियों ने पग-पग पर उनके सामने बाधा रखी ताकि ज्योतिराव अपने उद्देश्यों से पीछे हट जाएँ। लेकिन ज्योतिराव ने कभी हार नहीं मानी और कभी अपने व्यवहार में अनुदारता नहीं आने दी। वे और उनकी जीवनसंगिनी सावित्रीबाई फुले ने अपने जीवन और कर्म से समाज के सामने ऐसा आदर्श उपस्थित किया, जिसमें एक स्वतंत्र, सक्षम आधुनिक राष्ट्र का अस्तित्व और भावी पीढ़ियों के लिए पथ-निर्देश निहित था।

एक अवश्य पठनीय और प्रेरक उपन्यास!

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 152p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Krantipurush Jyotirav Fule
Your Rating
Mohandas Naimisharay

Author: Mohandas Naimisharay

मोहनदास नैमिशराय
 
जन्म: 5 सितम्बर, 1949, मेरठ (उ.प्र.)।
 
सुप्रसिद्ध दलित रचनाकार एवं मनीषी।
 
पाँच वर्ष तक डॉ. आम्बेडकर प्रतिष्ठान, भारत सरकार, नई दिल्ली में सम्पादक एवं मुख्य सम्पादक। महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा एवं अन्य विश्वविद्यालयों में विजिटिंग प्रोफेसर। पत्रकारिता, रेडियो, दूरदर्शन, फिल्म, नाटक आदि में लेखन व प्रस्तुति का प्रचुर अनुभव। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में अध्येता के रूप में ‘मराठी और हिन्दी दलित नाटक’ पर शोध।
 
प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ: क्या मुझे खरीदोगे, मुक्तिपर्व, झलकारी बाई, जख्म हमारे, महानायक बाबा साहेब डॉ. आम्बेडकर (उपन्यास); आवाजें, हमारा जवाब (कहानी संग्रह); सफ़दर एक बयान, आग और आन्दोलन (कविता संग्रह); अपने अपने पिंजरे: 2 भागों में (आत्मकथा); अदालतनामा, हैलो कॉमरेड (नाटक); भारतरत्न डॉ. भीमराव आम्बेडकर, आत्मदाह संस्कृति: उद्भव और विकास, उजाले की ओर बढ़ते कदम, स्वतंत्रता संग्राम के दलित क्रान्तिकारी, बहुजन समाज (शोध व विमर्श); हिन्दुत्व का दर्शन, डॉ. आम्बेडकर और कश्मीर समस्या, भारत के अग्रणी समाज सुधारक (अनुवाद); दलित उत्पीड़न विशेषांक, हिन्दी दलित साहित्य (सम्पादन)
 
अनेक भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में कई रचनाएँ शामिल। फिल्म, टी.वी. के लिए लेखन, रंगमंचीय अनुभव।
 
सम्मान: डॉ. आम्बेडकर स्मृति पुरस्कार; डॉ. आम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार; ‘कास्ट एंड रेस’ पुस्तक पर डॉ. आम्बेडकर इंटरनेशनल मिशन पुरस्कार कनाडा; गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार; डॉ. आम्बेड़कर सामाजिक विज्ञान संस्थान, महु (म.प्र.) के अलावा अन्य पुरस्कार।
 
सम्प्रति: हिन्दी मासिक ‘बयान’ पत्रिका का सम्पादन।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top